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किसी भी भू माफिया और दोषियों को नहीं जायेगा बख्शा :राजेंद्र राठौड़

जयपुर. करप्शन और भ्रष्टाचारियों को कारावास भेजना और उन पर कठोर कार्रवाई करने का दावा क्या बीजेपी के लिए केवल चुनावी जुमला है. राजस्थान की भजन लाल गवर्नमेंट की कार्य शैली देखकर तो कम से कम यही सच लगता है. वरना, क्या कारण है कि राजस्थान उच्चतर न्यायिक सेवा के एक अधिकारी गहन जांच-पड़ताल के बावजूद जेडीए के करप्ट अफसरों और संबंधित भू-माफिया पर अब कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई.
वह भी तब जब कि बीजेपी के ही एक दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ ने विधानसभा चुनाव से पहले बोला था कि राजस्थान में सत्ता आते ही न्यायिक सेवा के अधिकारी की ओर से जेडीए की जांच में जो भी मुद्दे उठाए गए हैं, उन सबकी CBI अथवा एसआईटी से जांच कराई जाएगी. किसी भी भू माफिया और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
बता दें कि खासखबर डॉट कॉम ने एक के बाद एक जेडीए को लेकर कई खुलासे किए थे. जेडीए का हाल यह है कि यहां के अफसरों ने लैंड फॉर लैंड मुद्दे तो भूखंडधारियों से खुलकर पैसा मांगा था.
अचानक खामोशी क्यों साध गए यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्राः
रोचक तथ्य यह है कि नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन विभाग के मंत्री पद की शपथ लेते हुए झाबर सिंह खर्रा ने तल्ख तेवर दिखाए थे. जेडीए और यूडीएच के अनेक अफसरों की मीटिंग लेकर लैंड फॉर लैंड और प्रशासन शहरों के संग अभियान में अलॉट की गई जमीनों की सूची 10 दिन में मांग ली थी. यहां तक ऐसे में मामलों में संबंधित अफसरों औऱ भू माफिया पर कार्रवाई करने को भी बोला था. लीपापोती के बाद एक सूची यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा तक पहुंच भी गई. लेकिन, इसके बाद खर्रा आश्चर्यजनक रूप से खामोशी साधकर बैठ गए हैं. जेडीए में दलालों और भूमाफियाओं का पुराना रुतबा फिर कायम हो गया है.
एयरपोर्ट के पास अवाप्तशुदा जमीन का खेलः
जेडीए के अधिकारी एयरपोर्ट स्कीम के लिए अवाप्ति के 47 वर्ष बाद बतौर मुआवजा विकसित 25 फीसदी करीब 5000 वर्गमीटर जमीन कथित खातेदारों को देने पर आमादा हैं. वह भी तब जबकि के ये खातेदार निचली कोर्ट, ट्रिब्यूनल से लेकर उच्च न्यायालय की खंडपीठ तक मुकदमा हार चुके हैं. यहां जमीन का बाजार रेट करीब 2 लाख रुपए प्रति वर्गमीटर है.
यह मुद्दा khaskhabar.com
द्वारा 13 सितंबर, 2023 को भी खुलासा किया गया था.
इस प्रकरण के अनुसार राजस्व रिकॉर्ड में जमीन जेडीए के नाम दर्ज है. जमीन का कब्जा भी ले चुका है. फिर भी मुआवजे की जमीन देने के लिए पिछले 3 वर्ष से फाइलें बिजली की गति से दौड़ रही हैं. यहां तक कि नियमों की गलत व्याख्या करके प्रशासनिक आदेश तक निकाले जा रहे हैं, ताकि कैसे भी कथित खातेदारों को मुआवजे की जमीन आवंटित की जा सके इसके लिए प्रस्ताव तक बनाकर राज्य गवर्नमेंट को भेज दिए गए. लेकिन, गवर्नमेंट ने संबंधित लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं की.

 

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