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जिनके पास 5 लाख रुपये तक का बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस है तो वे लोग ले ये सुपर टॉप-अप प्लान

Health Insurance : एक बार हॉस्पिटल में भर्ती होने पर उपचार का बिल कितना बढ़ेगा, इसका कुछ पता नहीं चलता. उपचार के खर्च से बचने के लिए लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेते हैं. सोचिए यदि किसी शख्स ने 5 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस लिया है और उपचार में 50 लाख रुपये का खर्च आए तो जाहिर है उपचार कराने वाले शख्स को या उसके परिजन पर आर्थिक बोझ पड़ेगा. हेल्थ इंश्योरेंस के साथ टॉप-प्लान इस आर्थिक बोझ को समाप्त कर देते हैं.

हेल्थ इंश्योरेंस के साथ लें टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान

अगर आपके पास 5 लाख रुपये तक का बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस है तो बेहतर होगा कि उसके साथ टॉप-अप प्लान या सुपर टॉप-अप प्लान ले लें. ये भी हेल्थ इंश्योरेंस ही होते हैं लेकिन ये बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस से अलग होते हैं. इनका प्रीमियम बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस के मुकाबले काफी कम होता है. बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस में अधिक का कवर लेने से बेहतर है कि इसे कम रखें और इसके साथ टॉप-अप या सुपर टॉप-अप ले लें. टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान 1 करोड़ रुपये तक का ले सकते हैं. टॉप-अप में कवर का लाभ वर्ष में एक बार ही मिल सकता है. वहीं सुपर टॉप-अप का लाभ वर्ष में कितनी भी बार ले सकते हैं.

जरूरत में आता है काम

मान लीजिए किसी शख्स के पास 5 लाख रुपये तक का बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस है. ऐसे में बेहतर होगा कि वह 95 लाख रुपये का टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान ले ले. यदि उपचार में 10 लाख रुपये का खर्च आता है तो बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस जितने का है, उतनी धनराशि उसमें से कट जाएगी और बाकी की टॉप-अप या सुपर टॉप-अप से. ध्यान रखें कि इनमें एक डिडक्टिबल लिमिट होती है. इस लिमिट के बाद ही इसका लाभ मिलता है. डिडक्टिबल लिमिट जितनी अधिक होती है, प्रीमियम उतना ही कम मिलता है.

क्या है डिडक्टिबल लिमिट

डिडक्टिबल लिमिट वह धनराशि होती है जिसके निकालने के बाद ही टॉप-अप या सुपर टॉप-अप का लाभ मिलता है. मान लीजिए राजीव नाम के किसी शख्स के पास 5 लाख रुपये का बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस है. उसने 95 लाख रुपये का टॉप-अप प्लान लिया हुआ है. टॉप-अप प्लान में उसने 5 लाख रुपये की डिडक्टिबल लिमिट फिक्स की है. एक बार उसके उपचार में 50 लाख रुपये का खर्च आया. ऐसे में 5 लाख रुपये उसके बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस में से कवर हो जाएंगे और बाकी का खर्च टॉप-अप से पूरा हो जाएगा. वहीं मान लें कि राजीव ने 2 लाख रुपये की डिडक्टिबल लिमिट फिक्स करवाई होती तो उन्हें केवल बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस के 5 लाख रुपये का ही लाभ मिलता, बाकी के 45 लाख रुपये उन्हें अपनी जेब से चुकाने पड़ते.

लिमिट कंपनी पर करती है निर्भर

डिडक्टिबल लिमिट उस कंपनी पर भी निर्भर करती है जिस कंपनी का आप टॉप-अप प्लान लेते हैं. टॉप-अप या सुपर टॉप-अप प्लान लेते समय कंपनी से इसके बारे में पूरी जानकारी ले लें. बेहतर होगा कि जिस कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस है, टॉप-अप या सुपर टॉप-अप भी उसी कंपनी का लें.

इतना देना होता है प्रीमियम

जिस प्रकार हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम इंश्योरेंस लेने वाले शख्स की उम्र, उसकी पूर्व में कोई रोग और परिवार के सदस्यों और उनकी उम्र के मुताबिक निर्धारित होता है, उसी प्रकार टॉप-अप या सुपर टॉप-अप का प्रीमियम भी तय होता है. यदि 30 वर्ष का कोई शख्स पूरी तरह से स्वस्थ है. वह दिल्ली-नोएडा जैसी मेट्रो सिटी में रहता है और अभी उसकी विवाह नहीं हुई है तो उसे 5 लाख रुपये का बेसिक हेल्थ इंश्योरेंस प्लान 8 से 10 हजार रुपये के सालाना प्रीमियम पर मिल सकता है. वहीं यदि वह 95 लाख रुपये का टॉप-अप लेता है तो इसका सालाना प्रीमियम 2 से 3 हजार रुपये हो सकता है. वहीं बात यदि सुपर टॉप-अप प्लान की करें तो इसका सालाना प्रीमियम 2.5 से 4 हजार रुपये हो सकता है.

 

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