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35 साल बाद पहली बार ईवीएम पर अंगुलियां रखेंगे वोटर

  झारखंड के जिस बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में उग्रवादियों की हुकूमत चलती थी, वहां करीब 35 वर्ष बाद हजारों वोटर पहली बार ईवीएम के बटन पर अंगुलियां रखेंगे. शुक्रवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने स्वयं बाइक पर मीलों का यात्रा तय कर इस क्षेत्र का दौरा किया और यहां चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया.

यह क्षेत्र आज भी इतना दुर्गम है कि यहां तक सवारी गाड़ियां नहीं पहुंचतीं. एक तरफ झारखंड और दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ को बांटने वाला बूढ़ा पहाड़ नक्सली उग्रवादियों का सबसे बड़ा और सबसे सुरक्षित पनाहगाह रहा है. उन्होंने बारूदी सुरंगों और हथियारबंद दस्तों के साथ क्षेत्र की इस तरह घेराबंदी कर रखी थी कि पुलिस और सुरक्षाबलों के लिए यहां पहुंचना कठिन था.

यहां रहने वाली तकरीबन 20 हजार की जनसंख्या उग्रवादियों का हर हुक्म मानने को विवश थी. ऐसे में उनके लिए भला क्या चुनाव और क्या वोट !

लेकिन, इस बार पूरे क्षेत्र में परिवर्तन की सुखद बयार है. सुरक्षा बलों और पुलिस की ओर से चलाए गए “ऑपरेशन ऑक्टोपस” की बदौलत पूरे 32 वर्षों के बाद 2022 के अगस्त-सितंबर महीने में बूढ़ा पहाड़ को उग्रवादियों से आजाद करा लिया गया. उग्रवादियों को खदेड़ने के बाद 16 सितंबर, 2022 को इस पहाड़ पर पहली बार एयरफोर्स का एमआई हेलीकॉप्टर उतारा गया था और तभी एक तरह से बूढ़ा पहाड़ में “नई आजादी” का घोषणा हुआ था.

पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुरक्षा बलों द्वारा बूढ़ा पहाड़ जीत करने को बड़ी सफलता कहा था. अब, इस पहाड़ की अनेक चोटियों पर पुलिस का कैंप है. क्षेत्र में सुरक्षाबलों की कुल 40 कंपनियों की तैनाती है. 55 वर्ग किलोमीटर में फैले और झारखंड के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के जंगलों से घिरे पहाड़ और उसके इर्द-गिर्द के गांवों के लोगों की जीवन पिछले डेढ़ सालों में काफी बदल गई है. यहां के बच्चे पुलिस और सुरक्षाबलों की ओर से चलाई जाने वाली सामुदायिक पाठशालाओं में पढ़ाई करते हैं.

ग्रामीणों में भी उग्रवादियों की बंदूकों का खौफ नहीं है. पहाड़ की तराई में स्थित कुटकू गांव के प्रताप तिर्की कहते हैं कि इस बार सैकड़ों लोग पहली बार वोट डालेंगे. हालांकि, मतदान केंद्र अब भी काफी दूर है. झारखंड की राजधानी रांची से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर लातेहार के गारू प्रखंड के सुदूर गांवों से प्रारम्भ होने वाला यह पहाड़ इसी ज़िले के महुआडांड़, बरवाडीह होते हुए दूसरे ज़िले गढ़वा के रमकंडा, भंडरिया के क्षेत्र में फैला है. पहाड़ की दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ का क्षेत्र है.

झारखंड में पहाड़ का जो हिस्सा आता है, वह दो संसदीय क्षेत्रों में बंटा है- पलामू और चतरा. पलामू लोकसभा क्षेत्र में आने वाले गांवों के लोग 13 मई और चतरा के भीतर आने वाले क्षेत्र के लोग 20 मई को वोट डालेंगे. बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में गांवों की कुल संख्या 27 है, जो 89 टोलों में बंटे हुए हैं. कुल जनसंख्या 19 हजार 836 है. मतगड़ी, टेहरी, तुरेर, तुबेग, कुटकू, चेमो, सान्या, झालूडेरा, बहेराटोली सहित अनेक गांवों को मिलाकर वोटरों की तादाद करीब चार हजार है. इनमें ज्यादातर लोग आदिवासी और दलित समुदाय के हैं.

सैकड़ों लोगों के वोटर कार्ड पहली बार बने हैं. हालांकि, मतदान केंद्रों तक पहुंचने के लिए अब भी लोगों को मीलों की दूरी तय करनी होगी. राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र का दौरा करने के बाद गढ़वा में पत्रकारों से बात करते हुए लोगों से भयमुक्त होकर मतदान करने की अपील की.

उन्होंने बोला कि आयोग की नज़र में पुलिस-प्रशासन ने सुरक्षा के पर्याप्त व्यवस्था किए हैं. बाद में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी और राज्य के पुलिस नोडल पदाधिकारी एवी होमकर ने गढ़वा जिला मुख्यालय में अफसरों के साथ बैठक कर चुनावी तैयारियों को लेकर जरूरी गाइड लाइन भी दिए.

 

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