पुष्कर मेले में मुख्य आकर्षण होगा ऊंट पोलो और घुड़सवारी
ऊंट पोलो और घुड़सवारी प्रतियोगिताएं इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले का मुख्य आकर्षण होंगी। ऑफिसरों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा इस दौरान देसी बैलों की परेड भी आयोजित की जाएगी जिसके लिए मेला आयोजकों ने प्रस्ताव तैयार किया है। उन्होंने कहा कि इस साल मेला 14 से 29 नवंबर तक आयोजित किया जाएगा। ऑफिसरों ने कहा कि मेले में पहली बार ऊंट पोलो को शामिल करने का फैसला पुष्कर में होली उत्सव के दौरान इसे मिली कामयाबी को देखते हुए लिया गया।
पशु मेले में ऊंट पोलो को जोड़ा गया
पशुपालन विभाग के अतिरिक्त निदेशक (अजमेर रेंज) डाक्टर नवीन परिहार ने कहा कि ‘होली के दौरान ऊंट पोलो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था और इसे देखने के लिए पर्यटकों में उत्साह था। इसलिए पहली बार इस वर्ष पशु मेले में ऊंट पोलो को जोड़ा गया है।’ परिहार ने कहा कि एक टीम में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटक शामिल होंगे जबकि दूसरे में घरेलू पर्यटक और प्रशासन के लोग शामिल होंगे।
स्थानीय स्तर के घोड़ों को ही शामिल करने का निर्णय
उन्होंने बोला कि मेले को दर्शकों के लिए और अधिक सुन्दर बनाने के लिए इसमें घुड़सवारी को भी शामिल करने की तैयारी चल रही है। डाक्टर नवीन परिहार ने कहा , ‘अंतरराष्ट्रीय स्तर की घुड़सवारी प्रतियोगिता आयोजित करने की योजना थी, जिसमें हॉलैंड, इंग्लैंड, दुबई और स्विटजरलैंड के घुड़सवारों को आमंत्रित किया जाना था। लेकिन, सीकर जिले में ग्लैंडर्स बीमारी की सूचना मिलने के बाद घुड़सवारी प्रतियोगिताओं में सिर्फ़ क्षेत्रीय स्तर के घोड़ों को ही शामिल करने का फैसला किया गया है।’
घोड़े नहीं लाने को बोला है जहां ग्लैंडर्स बीमारी के मामले
अधिकारियों ने कहा कि विभाग ने घोड़ा पालकों, पशुपालकों और घोड़ों का परिवहन करने वालों के लिए दिशानिर्देश जारी कर उनसे उन राज्यों और जिलों से मेले में घोड़े नहीं लाने को बोला है जहां ग्लैंडर्स बीमारी के मुद्दे पाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विभाग ने इस साल मेले में विभिन्न गोवंशों की परेड आयोजित करने का भी प्रस्ताव तैयार किया है। परिहार ने बताया, ‘मेले में पहली बार इस वर्ष देशी गिर गायों और बैलों की प्रतियोगिता भी आयोजित की जाएगी। एक प्रस्ताव निदेशालय को भेजा गया है। मेले में नागौरी बैलों के भाग लेने के लिए पशुपालकों से भी संपर्क किया जा रहा है।’
पुष्कर का 15 दिवसीय मेला तीन चरणों में
उन्होंने बोला कि मेले के दौरान पर्यटकों को कठिनाई न हो, इसके लिए सड़कों पर विशेष व्यवस्था किये गये हैं। उन्होंने बोला कि मेला प्रारम्भ होने से पहले ही दीपावली के आसपास अक्सर पशुपालक सड़कों के किनारे गैरकानूनी कब्जा कर लेते हैं, इससे सड़क पर जाम लग जाता है और यात्रियों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इस वर्ष ऐसी स्थिति से बचने के लिए योजना बनाई गई है। पुष्कर का 15 दिवसीय मेला तीन चरणों में होता है। प्रथम चरण में पशु मेला दीपावली के दूसरे दिन प्रारम्भ होता है। इस दिन से ही पशुओं एवं पशुपालकों का आगमन शुरू हो जाता है।
दूसरा चरण कार्तिक शुक्ल गोपाष्टमी से प्रारंभ
प्रशासनिक स्तर पर दूसरा चरण कार्तिक शुक्ल गोपाष्टमी से प्रारंभ होता है। इस दिन जिलाधिकारी मेला स्टेडियम में ध्वजारोहण कर मेले की औपचारिक आरंभ करते हैं। इस दिन से खेलकूद एवं पशु प्रतियोगिताएं तथा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। तीसरे और आखिरी चरण के अनुसार धार्मिक मेला देवउठनी एकादशी से प्रारम्भ होता है। पांच दिवसीय धार्मिक मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित विशाल स्नान के साथ खत्म होता है।
पुष्कर पशु मेले में हजारों ऊँट, घोड़े और विभिन्न प्रजाति के जानवर
पुष्कर पशु मेले में हजारों ऊँट, घोड़े और विभिन्न प्रजाति के जानवर आते हैं। पशुपालकों के बीच करोड़ों रुपये का लेन-देन होता है। लाखों श्रद्धालु पवित्र पुष्कर झील में डुबकी लगाने और क्षेत्र के मंदिरों के दर्शन करने आते हैं। प्रशासन द्वारा प्रतिभागियों के मनोरंजन के लिए कई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें राजस्थानी लोक कलाकार और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकार भाग लेते हैं।