कांग्रेस और द्रमुक ने श्रीलंका को कच्चातिवु सौंपने में की मिली भगत :अन्नामलाई
नई दिल्ली. तमिलनाडु के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने आरटीआई के जरिए कच्चातिवु के बारे में जानकारी मांगी थी. इस आरटीआई के जरिए जो उत्तर सामने आया है, वह बहुत चौंकाने वाला है.
आरटीआई के जरिए अन्नामलाई को जो उत्तर मिला है, उसके मुताबिक 1974 में हिंदुस्तान की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने तमिलनाडु में लोकसभा अभियान को देखते हुए कच्चातिवु को लेकर समझौता किया था.
इसको लेकर के. अन्नामलाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो जारी करते हुए लिखा कि कांग्रेस पार्टी और द्रमुक ने श्रीलंका को कच्चातिवु सौंपने में मिली भगत की. जब भी कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही, उसे हमारे राष्ट्र की सीमा, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को सुरक्षित रखने में दिलचस्पी सबसे कम थी.
आरटीआई से जो जानकारी के. अन्नामलाई ने साझा की, उसकी मानें तो तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने 1974 में श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ एक समझौता किया था. इस समझौते के अनुसार श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप औपचारिक रूप से सौंप दिया गया था. इसको लेकर कहा गया कि तमिलनाडु में लोकसभा अभियान को देखते हुए इंदिरा गांधी ने यह समझौता किया था. ऐसे में संसद के आधिकारिक दस्तावेजों और रिकॉर्ड से यह साफ पता चलता है कि किस तरह हिंदुस्तान इस द्वीप पर अपने नियंत्रण की लड़ाई एक छोटे राष्ट्र से हार गया.
इसके साथ ही इस रिपोर्ट में हिंदुस्तान के प्रथम पीएम जवाहरलाल नेहरू की टिप्पणियों का भी हवाला दिया गया है, जिसमें नेहरू द्वारा बोला गया था कि उन्हें कच्चातिवु द्वीप पर दावा छोड़ने में कोई संकोच नहीं होगा. इसके साथ ही इसमें यह भी जिक्र है कि तब नेहरू ने बोला था कि मैं इस छोटे से द्वीप को कोई महत्व नहीं देता हूं, ऐसे में मुझे इस पर से अपने दावों को छोड़ने में कोई संकोच नहीं होगा. इसके साथ ही जवाहर लाल नेहरू ने यह भी लिखा था कि मुझे यह पसंद नहीं है कि यह मामला अनिश्चित काल के लिए लंबित रहे और संसद में इसे फिर से उठाया जाए.
कच्चातिवु के बारे में बता दें कि यह पाक जलडमरूमध्य में एक छोटा सा द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है. यह 1976 तक हिंदुस्तान का हिस्सा था. इसके साथ ही बता दें कि 285 एकड़ हरित इस क्षेत्र पर श्रीलंका अब अपना अधिकार जताता है. इसके पीछे की वजह यह रही है कि 1974-76 के बीच चार समुद्री सीमा समझौतों पर तब की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके ने हस्ताक्षर किए थे. फिर इसी समझौते के अनुसार यह कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया था, तब इस समझौते का तमिलनाडु के तत्कालीन सीएम एम करुणानिधि ने तीखा विरोध किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को 1970 के दशक में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को देने के तब की इंदिरा गांधी गवर्नमेंट की निंदा की. एक न्यूज़ आर्टिकल का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली रिपोर्ट! नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस पार्टी ने बेरहमी से कच्चातिवु श्रीलंका को दे दिया. इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में फिर से पुष्टि हुई है कि हम कांग्रेस पार्टी पर कभी भरोसा नहीं कर सकते.
उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर हिंदुस्तान की एकता और अखंडता को कमजोर करने का भी इल्जाम लगाया. उन्होंने कहा, हिंदुस्तान की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस पार्टी का 75 सालों से काम करने का तरीका रहा है.