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गहलोत ने ERCP को राजनीतिक भस्मासुर की तरह काम में लिया- शेखावत

सबको मिलकर इसका निवारण खोजना चाहिए. यह सिस्टम के लिए भी चिंता का विषय है. चुनाव आयोग को भी विचार करना चाहिए. लोकतंत्र की परिपक्वता के साथ एकाएक मतदान का फीसदी जिस तरह कम हो रहा है, यह विचारणीय है.

अमित शाह ने भी बोला था कि यह सोचकर मत बैठ जाना कि गवर्नमेंट बन रही है. क्या वोटिंग कम होने का असर भाजपा पर पडे़गा?

जो वोटिंग कम हुई है, वह जेनरिक है, यानी एक वर्ग या जाति के वोट कम नहीं हुए. सभी के लिए वोट कम हुआ है लेकिन एक बात मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि दूसरे चरण के जो आंकड़े आएंगे, उसमें निश्चित रूप से वोट फीसदी 6 से 7 फीसदी तक बढ़ेगा.

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी प्रचार कर रही है कि भाजपा 400 सीट लाकर संविधान बदलना चाहती है, आरक्षण समाप्त करना चाहती है?

देखिए राष्ट्र को बांटना कांग्रेस पार्टी के डीएनए में है. पीएम ने स्वयं बोला है कि बाबा साहेब भी आ जाएं तो संविधान बदल नहीं सकता. संविधान में संशोधन किया जा सकता है लेकिन इसके लिए 400 पार की आवश्यकता नहीं. राष्ट्र में अधिकतर संशोधन कांग्रेस पार्टी के समय ही हुए. संविधान में संशोधन राष्ट्र के लिए जरूरी है तो हमने किया.

आरक्षण को लेकर बड़ा मामला बनाया जा रहा है कि आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा?

ये असत्य है. ये लोग अफवाहें फैलाकर समाज को बांटना चाहते हैं और सामाजिक ताने-बाने समाप्त करना चाहते हैं. हमने तो सवर्ण जाति को लोगों को भी आरक्षण का फायदा ईडब्लूएस में दिया और आरक्षण में छेड़छाड़ किए बिना दिया.

 

 

प्रधानमंत्री ने बांसवाड़ा में बोला कि कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में स्त्रियों के मंगलसूत्र तक लेने की बात की जा रही है?

इस बयान के परिप्रेक्ष्य में देखें तो मनमोहन सिंह की गवर्नमेंट के समय उनका वक्तव्य था कि राष्ट्र के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. वहीं पीएम का बोलना है कि संसाधनों पर पहला अधिकार गरीबों का है. जब गरीब का कल्याण होता है, उसका जीवन स्तर सुधरता है तो इससे उन लोगों को तकलीफ होती है, जो कहते हैं कि पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है.

कांग्रेस कह रही है कि जलमंत्री जोधपुर के हैं और जोधपुर ही प्यासा रह गया?

संविधान कहता है कि पानी पहुंचाने का काम राज्य गवर्नमेंट का है, जितना काम आजादी से 72 वर्षों में हुआ, उसका चार गुना काम हमने किया. जब 12 राज्य 100 फीसदी कर सकते हैं तो राजस्थान ही पिछड़ा हुआ क्यों रहा, इसकी जिम्मेदारी किसकी थी?

 

नई गवर्नमेंट के आने के तीन महीने के भीतर ईआरसीपी एमओयू साइन हो गया. पिछली गवर्नमेंट में यह क्यों नहीं हो पाया?

क्योंकि अशोक गहलोत ने इसे सियासी भस्मासुर की तरह काम में लिया था. मुझे बदनाम करने के लिए उन्होंने ऐसा किया. मैंने लोगों के बीच जाकर कहा कि राज्य गवर्नमेंट इसे आगे नहीं बढ़ा रही है. बदलाव संकल्प यात्रा के समय किसी ने ईआरसीपी का एक पर्चा भी आकर नहीं पकड़ाया, जबकि चुनावों के समय गहलोत साहब ने 3 बार इसकी घोषणा की थी.

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