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महाराष्ट्र में सीएम एकनाथ शिंदे ने आज बुलाई एक सर्वदलीय बैठक

Maratha Quota stir: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण राज्य की एकनाथ शिंदे गवर्नमेंट के लिए गले की हड्डी बन चुकी है एक तरफ जहां मराठा समुदाय स्वयं को कुनबी जाति में शामिल कर ओबीसी आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं तो दूसरी तरफ ओबीसी समुदाय इसका विरोध कर रहा है रविवार को दोनों ही गुटों ने अपनी-अपनी कोशिशों के लिए एड़ी चोटी का बल लगा दिया फिलहाल, इस विवादास्पद मामले का निवारण होता नजर नहीं आ रहा है इसलिए, सीएम एकनाथ शिंदे ने आज (सोमवार को) सर्वदलीय बैठक बुलाई है

राज्य गवर्नमेंट द्वारा मराठा समुदाय के एक उपसमूह को आरक्षण देने के प्रस्ताव के चार दिन बाद, मनोज जारांगे पाटिल, जो मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और कई दिनों से अनशन पर हैं, ने घोषणा की कि उन्होंने पूरे समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अनुसार लाने की अपनी मांग के समर्थन में गवर्नमेंट पर और भी अधिक दबाव डालने का कोशिश करते हुए अब पानी का भी त्याग कर दिया है

ओबीसी समुदाय क्यों कर रहा विरोध
उधर, ओबीसी समुदाय और कुनबी समुदाय (मराठा समुदाय का उपसमूह, जिसे पहले से ही OBC का दर्जा मिला हुआ है) ने इस तरह की किसी भी पहल का विरोध किया है इनलोगों को डर है कि पूरे मराठा समुदाय को ओबीसी का दर्जा देने से उनका भलाई प्रभावित होगा उनका तर्क है कि मराठा समुदाय  प्रभावशाली समुदाय है जो राज्य की जनसंख्या का लगभग एक तिहाई है और यदि उन्हें ओबीसी का दर्जा दिया गया तो इसके अनुसार मिलने वाले आरक्षण को यह प्रभावशाली समुदाय हड़प लेगा

ऐसे में शिंदे गवर्नमेंट आरक्षण के मसले पर एक साथ दो तरह के विरोध-प्रदर्शनों के बीच फंसी हुई दिखाई दे रही है इस बीच सीएम एकनाथ शिंदे ने सोमवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है लगभग दो हफ्ते पहले मराठा समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बाद पहली बार बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन की गवर्नमेंट ने विपक्षी दलों के विचारों को समझने की प्रयास की है

अजित पवार ने क्या कहा
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बोला कि मराठा आरक्षण के मामले पर चर्चा के लिए सोमवार को मुंबई में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है मुंबई से लगभग 380 किलोमीटर दूर कोल्हापुर शहर में रविवार को एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मराठा समुदाय को आरक्षण देते समय यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अन्य पिछड़ा वर्ग प्रभावित न हो सिर्फ़ चर्चा और बैठकों से ही इस मामले का निवारण होगा”  मनोज जारांगे पिछले 13 दिनों से इस मांग को लेकर भूख स्ट्राइक पर हैं राज्य गवर्नमेंट और जारांगे के बीच अब तक कई दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन सभी बेनतीजा रही है

क्या है मराठा आरक्षण का मुद्दा:
मराठों द्वारा आरक्षण की मांग दशकों पुरानी है, लेकिन 2018 में व्यापक विरोध को देखते हुए राज्य गवर्नमेंट ने इस समुदाय को 16% आरक्षण देने का निर्णय किया था लेकिन बॉम्बे उच्च न्यायालय ने इसे नौकरियों में 13% और शिक्षा में 12% तक घटा दिया तीन वर्ष बाद मई 2021 में उच्चतम न्यायालय की 5 जजों की संविधान पीठ ने मराठा आरक्षण पर रोक लगा दी और बोला कि आरक्षण को लेकर 50 प्रतिशत की सीमा को नहीं तोड़ा जा सकता है

मौजूदा संकट क्या है?
मराठा आरक्षण का मौजूदा संकट 1 सितंबर को प्रारम्भ हुआ, जब जालना में मराठों के लिए ओबीसी दर्जे की मांग के लिए आंदोलन कर रहे मनोज जारांगे-पाटिल की भूख स्ट्राइक की स्थान पर प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया इसके बाद मराठों का आंदोलन राज्यभर में तेज हो गया इससे दबाव में आकर सीएम एकनाथ शिंदे ने पिछले सप्ताह घोषणा की कि मध्य महाराष्ट्र क्षेत्र के मराठा समुदाय को ओबीसी श्रेणी के अनुसार आरक्षण का फायदा दिया जा सकता है हालांकि, उन्होंने एक शर्त रखी शर्त के अनुसार मराठों को निज़ाम युग के अनुसार उन्हें कुनबी जाति के रूप में वर्गीकृत करने का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा

लेकिन एकनाथ शिंदे गवर्नमेंट के इस आदेश ने सभी पक्षों को नाराज कर दिया मराठा समूहों ने बोला कि वे बिना किसी शर्त के आरक्षण चाहते हैं, न कि मध्य महाराष्ट्र के सिर्फ़ आठ जिलों के लिए दूसरी तरफ ओबीसी और कुनबी समूहों को डर हो गया कि ओबीसी कैटगरी में शामिल करने से मराठा समुदाय उनका कोटा खा जाएगा इसके बाद उधर से भी विरोध तेज हो गया ओबीसी महासंघ के अध्यक्ष बबन तायवाड़े ने कहा, “हम किसी और के लिए अपने हिस्से का आरक्षण छोड़ने को तैयार नहीं हैं यदि गवर्नमेंट मराठा समुदाय को आरक्षण देना चाहती है तो उसे खुली श्रेणी से आरक्षण देने पर विचार करना चाहिए

बता दें कि कुनबियों को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण मिलता है जबकि मराठा सामान्य श्रेणी में आते हैं जारांगे-पाटिल और कुछ मराठा संगठनों का बोलना है कि सितंबर 1948 में मध्य महाराष्ट्र में निज़ाम शासन समाप्त होने तक, मराठों को कुनबी माना जाता था, और कारगर रूप से ओबीसी थे

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