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नकल पर रोकथाम के लिए न्यूनतम तीन साल से पांच साल तक का कारावास

सरकारी भर्ती और प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्नपत्र लीक तथा फर्जी वेबसाइट जैसी अनियमितताओं के विरुद्ध तीन वर्ष से 10 वर्ष तक की कारावास और न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने के प्रावधान वाले ‘लोक परीक्षा (अनुचित साधनों का निवारण) विधेयक, 2024’ को मंगलवार को लोकसभा ने पारित कर दिया

कानून में न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान

नकल पर रोकथाम के लिए न्यूनतम तीन वर्ष से पांच वर्ष तक के जेल और इस तरह के संगठित क्राइम में शामिल लोगों को पांच से 10 वर्ष तक की कारावास की सजा का प्रावधान है प्रस्तावित कानून में न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है

विधेयक की खास बातें

विधेयक में बोला गया है, प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी का लीक होना, सार्वजनिक परीक्षा में अनधिकृत रूप से किसी भी ढंग से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार की सहायता करना और कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर संसाधन या कंप्यूटर सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करना किसी व्यक्ति, लोगों के समूह या संस्थानों द्वारा किए गए क्राइम हैं

विधेयक के दायरे में इन परीक्षाओं की किया गया शामिल

विधेयक के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाएं, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित सभी कम्प्यूटर आधारित परीक्षाएं आएंगी

विद्यार्थी या अभ्यर्थी इस कानून के दायरे में नहीं

लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने साफ किया कि विद्यार्थी या अभ्यर्थी इस कानून के दायरे में नहीं आते और ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि इसके माध्यम से उम्मीदवारों का उत्पीड़न होगा उन्होंने कहा, यह कानून उन लोगों के खिलाफ लाया गया है जो इस परीक्षा प्रणाली के साथ छेड़छाड़ करते हैं सिंह ने बोला कि यह विधेयक राजनीति से ऊपर है और राष्ट्र के बेटे-बेटियों के भविष्य से जुड़ा है मंत्री के उत्तर के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया

पुनर्परीक्षा पर क्या कहे मंत्री जितेंद्र सिंह

केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने अनियमितता के कारण परीक्षा रद्द होने पर पुनर्परीक्षा के लिए समय-सीमा तय करने के कुछ सदस्यों के सुझाव पर बोला कि इस तरह के मामलों में CBI जांच और अन्य तरह की प्रक्रियाएं प्रारम्भ हो जाती हैं, इसलिए सीमारेखा तय करना संभव नहीं, लेकिन गवर्नमेंट का कोशिश इन्हें समय पर कराना होगा

भाषा के कारण विद्यार्थियों के साथ भेदभाव वाले इल्जाम पर मंत्री ने दिया जवाब

मंत्री जितेंद्र सिंह ने द्रविण मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य कथिर आनंद के सदन में चर्चा के दौरान दिए बयान का उल्लेख करते हुए बोला कि तमिलनाडु के सांसद ने गवर्नमेंट पर इल्जाम लगाया कि भाषा के कारण विद्यार्थियों के साथ भेदभाव होता है सिंह ने बोला कि पहली बार पीएम नरेन्द्र मोदी की गवर्नमेंट ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और अन्य परीक्षाओं को तमिल समेत 13 भाषाओं में कराना प्रारम्भ किया है और आशा है कि आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में भर्ती परीक्षाएं आयोजित कराई जाएंगी केंद्रीय मंत्री ने बोला कि द्रमुक पार्टी जब संप्रग गवर्नमेंट में थी तब भी ऐसा नहीं हुआ

कानून के नियम के लिए गवर्नमेंट बनाएगी जानकारों की टीम

परीक्षाओं में गड़बड़ी के विरुद्ध अलग कठोर कानून की आवश्यकता पर कुछ विपक्षी सदस्यों के प्रश्न उठाये जाने पर सिंह ने बोला कि भारतीय इन्साफ संहिता में अलग से इस तरह के प्रावधानों का उल्लेख नहीं है, इसलिए अलग से कानून लाया गया है उन्होंने बोला कि कानून के नियम बनाते समय गवर्नमेंट की योजना जानकारों की एक ऐसी समिति बनाने की है जो प्रौद्येागिकी के आधार पर इसे समय समय पर अद्यतन करे और जानकारी बढ़ाएं

मंत्री जितेंद्र सिंह ने खुदकुशी के बढ़ते मामलों पर जताई चिंता

मंत्री जितेंद्र सिंह ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के खुदकुशी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए बोला कि योग्यता, प्रतिभा और परिश्रम के आधार पर उन्हें अवसर मिलने चाहिए और नयी शिक्षा नीति के अनुसार उन्हें हर तरह के विषय पढ़ने और करियर के विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा उन्होंने कहा, हमारी माता-पिता और बच्चों से अपील है कि बदलते नये युग में पीएम की दूरदृष्टि के अनुरूप ‘विकसित भारत’ के निर्माण में सहयोग करने के लिए समर्पित हों

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