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जातीय हिंसा से तबाह राज्य की मौजूदा क्षेत्रीय सीमा को बनाए रखने के लिए नया कदम उठाया

 मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली गवर्नमेंट के 23 विधायकों ने राज्य की अखंडता की रक्षा करने की प्रतिज्ञा व्यक्त करते हुए एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं. वे जातीय अत्याचार से तबाह राज्य की मौजूदा क्षेत्रीय सीमा को बनाए रखने के लिए केंद्र से आग्रह करने के लिए जल्द ही दिल्ली भी जाएंगे.

आईएएनएस के पास उपस्थित प्रस्ताव में बोला गया है, “विधानसभा के सभी अधोहस्ताक्षरित सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि हम मणिपुर राज्य की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खड़े रहेंगे और अलग प्रशासन के किसी भी रूप पर हम सहमत नहीं होंगे.

“यह भी फैसला लिया गया है कि सभी सदस्य केंद्रीय नेतृत्व को मौजूदा संकट का जल्द से जल्द निवारण निकालने के लिए मनाने के लिए जल्द ही दिल्ली जाएंगे.

23 विधायकों में 18 बीजेपी से और शेष पांच गठबंधन सहयोगी हैं. इनमें विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत सिंह, मंत्री वाई खेमचंद और विश्‍वजीत सिंह भी शामिल हैं.

दस आदिवासी विधायक, जिनमें से सात बीजेपी से हैं और विभिन्न आदिवासी संगठन, जिनमें इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) और कुकी इंपी मणिपुर (केआईएम) शामिल हैं. 12 मई से आदिवासियों के लिए एक अलग प्रशासन (अलग राज्य के बराबर) की मांग कर रहे हैं.

गृहमंत्री अमित शाह, सीएम एन बीरेन सिंह और मैतेई समुदाय की एक प्रमुख संस्था, मणिपुर अखंडता समन्वय समिति सहित कई संगठन इस मांग का कड़ा विरोध कर रहे हैं.

सोमवार की रात ‘यूथ्स ऑफ मणिपुर’ के बैनर तले हजारों युवाओं ने सीएम के आधिकारिक बंगले की ओर मार्च किया, जबकि कुछ युवा नेताओं ने बाद में सिंह से मुलाकात की.

युवाओं ने मुख्यमंत्री से उन 10 आदिवासी विधायकों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह किया जो मणिपुर में आदिवासियों के लिए अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं.

युवाओं ने इस मामले पर चर्चा के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र बुलाने और विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) प्रारम्भ करने की भी मांग की.

युवा नेताओं ने सभी मंत्रियों, विधायकों और राजनेताओं से मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता के बारे में अपनी स्थिति का खुलासा करने का आग्रह किया. इस कदम के चलते 23 विधायकों ने मणिपुर के विभाजन की मांग का विरोध करने की नयी पहल की है.

इससे पहले भी मणिपुर के 40 से अधिक विधायकों ने केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की थी और उनसे राज्य की क्षेत्रीय अखंडता बनाए रखने का आग्रह किया था.

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