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सीकर-कांग्रेस-सीपीएम में गठजोड़ पर वोट ट्रांसफर बड़ी चुनौती

जिन हॉट सीटों की बात की जा रही है. उनमें बाड़मेर, जोधपुर, बांसवाड़ा-डूंगरपुर, कोटा, नागौर, चूरू, झुंझुनू, सीकर, दौसा और टोंक-सवाई माधोपुर शामिल हैं. कांग्रेस पार्टी की बात करें तो पार्टी से अधिक यहां प्रत्याशी के चेहरे पर दारोमदार है. वहीं भाजपा मोदी और संगठन के दम पर चुनाव लड़ रही है. चुनाव आगे बढ़ने के साथ-साथ यहां राजनीतिक बयानों के भी तीर चल रहे हैं.

 

 

सीकर सीट से इण्डिया गठबंधन में शामिल सीपीआई के अमराराम चुनाव मैदान में है. भाजपा ने यहां से अपने सिटिंग सांसद सुमेधानंद सरस्वती को उम्मीदवार बनाया है. विधानसभा चुनावों में भले ही सीकर में कांग्रेस पार्टी भारी रही है. लेकिन पिछले 5 लोकसभा चुनावों की बात करें तो यहां 4 बार भाजपा जीती है. हालांकि सीपीएम का यहां अपना वोट भी है, लेकिन कांग्रेस पार्टी का वोट भी यदि उन्हें ट्रांसफर हो जाता है तो मुकाबला बहुत रोचक होगा.

नागौर- यहां पार्टी नहीं, लड़ाई हनुमान और ज्योति के बीच  

 

नागौर सीट से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल इण्डिया गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में हैं. बेनीवाल 2019 में भाजपा गठबंधन प्रत्याशी के तौर पर सांसद चुने गए थे. भाजपा ने यहां ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है, जो पहले कांग्रेस पार्टी में थीं. भाजपा ने नागौर में अपनी मजबूती के लिए यहां के कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं को पार्टी में शामिल किया है. पिछले पांच लोकसभा चुनावों में से भाजपा यहां 2 बार जीती है. एक बार भाजपा के समर्थन से आरएलपी के हनुमान बेनीवाल जीते और दो बार कांग्रेस.

 

चूरू-कस्वां की बगावत ने मुकाबले को रोचक बनाया

 

चूरू सीट से कांग्रेस पार्टी ने राहुल कस्वां को मैदान में उतारा है. वह पिछले दो चुनाव में वह भाजपा के टिकट पर जीते थे, लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी पार्टी से मैदान में है. उनका सीधा मुकाबला पैरालंपिक खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया से है, लेकिन यहां कस्वां का असल मुकाबला भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ से है. राठौड़ से अदावत के बाद भाजपा ने उनका टिकट काट दिया और इसके चलते इस सीट पर मुकाबला जाट और राजपूत पर चला गया.

 

जैसलमेर- केवल यहीं त्रिकोणीय मुकाबला

 

जैसलमेर-बाड़मेर सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला तय है. निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी यहां आज नामांकन भरेंगे. भाजपा ने यहां दो बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को फिर से उतारा है.   कांग्रेस पार्टी के उम्मेदाराम बेनीवाल हैं जो विधानसभा में आरएलपी के टिकट पर बाड़मेर की बायतू सीट से चुनाव लड़े थे. बोला जा सकता है कि बाड़मेर इस बार राजस्थान की सबसे हॉट सीट होने वाली है.

सवाईमाधोपुर: पायलट के असर वाली सीट

 

सवाईमाधोपुर सीट पर कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट की साख दांव पर लगी हुई है. पार्टी ने यहां से पायलट के समर्थक माने जाने वाले हरीश मीना को मैदान में उतारा है. वहीं, भाजपा ने यहां से सुखबीर सिंह जौनपुरिया को टिकट दिया है. हालांकि टिकट बंटवारे से पहले जौनपुरिया की स्थान सुनीता बैंसला का नाम तेजी से चला, लेकिन अंत में पार्टी ने टिकट रिपीट करने का ही निर्णय लिया.

दौसा- यहां कांग्रेस पार्टी का सबसे मजबूत प्रत्याशी

 

दौसा सीट पर इस बार कांग्रेस पार्टी के मुरारीलाल मौना और भाजपा के कन्हैयालाल मीणा का मुकाबला होना है. मुरारीलाल मीणा सचिन पायलट के करीबी माने जाते हैं. मुरारी लाल मीणा यहां दौसा लोकसभा में ही आने वाली दौसा विधानसभा सीट से विधायक हैं. कांग्रेस पार्टी इस सीट पर स्वयं को सबसे अधिक मजबूत मानकर चल रही है.

झुंझुनूं- ना, ना करते ओला मैदान में उतरे

 

झुंझुनूं सीट पर कांग्रेस पार्टी के ओला परिवार का लंबे समय तक दबदबा रहा है. कांग्रेस पार्टी ने यहां से बृजेन्द्र ओला को चुनाव मैदान में उतारा है. हालांकि ओला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे. यह बात उन्होंने सार्वजनिक रूप से कही भी. उनका मुकाबला भाजपा के शुभकरण चौधरी से है. जाट बाहुल्य इस सीट पर 20 लाख से अधिक वोटर्स हैं. यहां जाटों का रुख जिस तरफ जीत उस तरफ चल पड़ती है.

कोटा- बिड़ला ही हैट्रिक या हिट विकेट

 

कोटा सीट पर भाजपा के बागी प्रहलाद गुंजल अब कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी हैं और उनका मुकाबला भाजपा के ओम बिड़ला से है. बिड़ला ने 2003, 2008, 2013 का विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाई. 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद 2024 में लोकसभा में जीत की हैट्रिक की तैयारी. इधर प्रहलाद गुंजल भी हाड़ौती के बड़े नेता माने जाते हैं. उनकी छवि यहां तेज-तर्रार नेता की है. हालांकि यहां जीत उसी की होती है जो भितरघात से निपटना जानता है.

बांसवाड़ा- कांग्रेस पार्टी का दावं BAP पर

 

बांसवाड़ा सीट से कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए महेंद्रजीत सिंह मालवीया को टिकट मिला है. मालवीय के साथ यहां कांग्रेस पार्टी के कई और नेता भी भाजपा में आए हैं. वहीं कांग्रेस पार्टी ने यहां रणनीतिक पहल करते हुए बीएपी को ही अपना समर्थन दे दिया. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने बीएपी से गठबंधन का घोषणा नहीं किया, लेकिन अपना प्रत्याशी भी नहीं उतारा जिसका लाभ बीएपी को ही मिलेगा.

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