आम के मंजर पर लगा है मधुआ कीट, तो ऐसे करें बचाव
आम के पेड़ पर भरपूर मंजर को देखकर किसानों को इस बार आम की अच्छी फल आने की आशा है। आम की अच्छी पैदावार लेने के लिए बगीचे का प्रबंधन महत्वपूर्ण है। आम के मंजर पर सबसे अधिक मधुआ कीट का खतरा रहता है। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो आम की बागवानी पूरी तरह से बर्बाद हो जायेगी। मधुआ पहले पत्तियों को हानि पहुंचाता है, फिर मंजर को और अंत में आम के टिकोले को। जिस वजह से फलों की पैदावार में काफी कमी आ जाती है।
मधुआ कीट लगने के बाद होगा यह असर
इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ।पीके द्विवेदी ने कहा कि आम के फसल पर सबसे अधिक मधुआ कीट का खतरा होता है। इससे फ़ल आने के पहले ही बर्बाद हो जाते हैं। यह भूरे रंग का छोटा-छोटा व्यस्क एवं शिशु दोनों ही पेड़ों की पत्तियों, कोमल टहनियों एवं मंजरों का रस काफी मात्रा में चूसते हैं। शिशु कीट एक प्रकार का श्राव निकालता है। इसके कारण पत्तियां पीला पड़ जाती है। फूल झड़ने लगते है। मामूली हवा चलने पर फल गिर जाते हैं। मंजर कम हों जाते है और अंत में टिकोला काला हो कर गिरने लग जाता है। ऐसे समय मे पौधा का संरक्षण जरुरी है। इसपर कीटनाशक का छिड़काव करें।
जानिए क्या है वैज्ञानिक सलाह
इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक डॉ।पीके दिर्वेदी ने कहा कि अभी मंजर के समय परागन की प्रक्रिया होती है। इस समय कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करना चाहिए। दवाई का छिड़काव करने से सभी मक्खी बगीचे से भाग जाएंगे। इससे परागन नहीं होगा और फलन में कमी आएगी। जैसे ही सरसों के दाने के बराबर फल होता है। उस समय हम कीटनाशक का छिडकाव करेंगे। साथ ही साथ मंजर को सुखने से बचाने के लिए जैसे ही दाना बनता है। आम के बगीचे को सिंचाई दें। यदि मधुआ कीट का प्रकोप अधिक है और दवा का छिड़काव जरूरी है, तो किसान शाम के समय छिड़काव कर सकते हैं। क्योंकि शाम के समय पर परागन की प्रकिया नहीं होती और मधुमक्खी भी नहीं मरेगी।
जैविक दवा रासायनिक दवा से अधिक फायदेमंद
कृषि वैज्ञानिक डॉ।पीके दिर्वेदी ने कहा कि एस्पाइनोशेड नाम की एक जैविक दवा है। इसके इस्तेमाल से मधुआ को सरलता से समाप्त किया जा सकता है। ये दवा पूरी तरह से जैविक है, इसलिए फलों पर भी इसका कोई रासायनिक असर नहीं होता। इस दवा का इस्तेमाल 15 लीटर पानी मे 10 मिली लीटर डाल कर छिड़काव किया जा सकता है। आम के मंजर को मधुआ कीट से बचाव के लिए थायोमिथोक्जेम एक ग्राम 3 लीटर पानी में या इमीडाक्लोप्रीड 17.8 एमएल दवा तीन लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। जरूरत पड़ने पर दूसरा छिड़काव 15 दिन बाद करें।