इतने धूमधाम से क्यों मनाई जाती है फुलेरा दूज, जानें इसकी कथा
सनातन धर्म में प्रत्येक साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को बड़े ही उत्साह के साथ फुलेरा दूज मनाई जाती है तथा इस दिन पूरे विधि-विधान से श्री राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। फुलेरा दूज के अवसर पर प्रत्येक साल मथुरा में फूलों की होली खेली जाती है। मथुरा में फुलेरा दूज पर फूलों से होली मनाने की परंपरा कई सालों से चली आ रही है। वही इस साल फुलेरा दूज का त्योहार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 11 मार्च को प्रातः 10:44 बजे प्रारम्भ हो जाएगी तथा इसका समाप्ति 12 मार्च को सुबह 7:13 बजे होगा। उदया तिथि के मुताबिक, फुलेरा दूज का पर्व 12 मार्च को ही मनाया जाएगा।
फुलेरा दूज की कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, प्रभु श्री कृष्ण अधिकांश अपने कार्यों में व्यस्त रहते थे। जिसकी वजह से प्रभु श्रीकृष्ण राधा रानी से नहीं मिल पाते थे। इसलिए राधा रानी बहुत दुखी रहती थीं। राधा रानी के दुखी होने की वजह से प्रकृति पर विपरित असर पड़ने लगा था। प्रभु श्रीकृष्ण प्रकृति की हालत को देख कर राधा रानी का दुख एवं नाराजगी को दूर करने के लिए उनसे मिलने के लिए गए।
जब प्रभु श्रीकृष्ण राधा रानी से मिलें तो राधा रानी एवं गोपियां प्रसन्न हो गईं और चारों तरफ फिर से हरियाली छाने लगी। प्रभु श्रीकृष्ण ने एक फूल तोड़ा एवं राधारानी के ऊपर फेंक दिया। फिर राधा रानी ने भी श्रीकृष्ण पर फूल तोड़कर फेंक दिया। तत्पश्चात, गोपियों ने भी एक दूसरे पर फूल फेंकने प्रारम्भ कर दिए। इस तरह फूलों से होली मनाने की परंपरा प्रारम्भ हो गई। जिस दिन यह सब हुआ उस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी। तभी से इस तिथि को फुलेरा दूज के नाम से एक त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा।