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इस मौसम में यहां शाम को मिलते हैं दूध के पेड़े

बीकानेर राजस्थान का बीकानेर खाने-पीने के शौकीनों का शहर है सुबह का नाश्ता हो या शाम का रिफ्रेशमेंट या फिर भोजन की ही बात क्यों न करें, बीकानेर में खाने की चीजें एक से बढ़कर एक मिलती हैं खासकर यदि सर्दी के दिनों की बात की जाए, तो इस मौसम में शाम के समय यहां एक स्पेशल चीज का जिक्र महत्वपूर्ण है, वह है दूध से बने स्पेशल पेड़े

आमतौर पर पेड़े में दूध के साथ मावा डाला जाता है, लेकिन यहां केवल दूध के पेड़े बनते हैं, जो सर्दी में ही खाए जाते हैं इन पेड़ों की दुकानें भी कम लगती हैं शाम के समय इन दुकानों में स्पेशल पेड़े खाने के लिए भारी भीड़ नजर आती है इन पेड़ों के दीवाने देशी भी हैं और विदेशी पर्यटक भी

दुकानदार सुशील ओझा ने कहा कि इन पेड़ों में दूध, इलायची, केसर, जायफल, जावित्री सहित कई तरह की चीजें डाली जाती हैं प्रतिदिन 3 से 4 किलो पेड़े बनाते हैं पेड़े बनाने में दो से तीन घंटे का समय लगता है गर्मी में इन पेड़ों का फ्लेवर बदल जाता है इनमें जावित्री जायफल की स्थान गुलाबजल डाला जाता है सुशील ने कहा कि ये पेड़े सीमित मात्रा में बनाए जाते हैं और कुछ ही समय में समाप्त हो जाते हैं यहां दो से तीन दुकानों में प्रतिदिन 20 से 30 किलो पेड़े बनाए जाते हैं इन पेड़ों का रंग भी सफेद के अतिरिक्त ब्राउन, हरा और लाल होता है

खाने में स्वादिष्ट, साइड इफेक्ट नहीं
दुकानदार सुशील ओझा ने कहा कि इन पेड़ों की मूल्य की बात की जाए तो 120 रुपए से 130 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ये बेचे जाते हैं उन्होंने कहा कि दूध के पेड़े खाने में तो टेस्टी होते ही हैं, इनका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता वैसे इसमें किसी भी तरह का नुकसानदायक तत्व नहीं मिलाया जाता, इसलिए शरीर के लिए हानिकारक नहीं होता

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