खीरे की खेती ने बदली 55 साल की ‘बिजली’ की किस्मत
एक दौर कभी ऐसा भी था, जहां गांव की महिलाएं केवल चूल्हे चौके तक ही सीमित रह जाती थीं, लेकिन समय में बदलाव आया। वह दौर बदला और अब महिलाएं घर से निकल कर खेतों तक भी पहुंचने लगी हैं। देवघर जिले की कोंकरीबाग पंचायत रायडीह गांव की एक 55 वर्षीय स्त्री 03 एकड़ में खीरे की खेती कर रही हैं। दरअसल, यह स्त्री 5 साल से लगातार खीरे की खेती कर अच्छा खासा फायदा कमा रही हैं।
महिला किसान बिजली देवी ने जानकारी देते हुए बोला कि वह अपने पति बालदेव राय के साथ मिलकर तरह-तरह की सब्जियों की खेती लगातार पिछले कई वर्ष से करती आ रही हैं। गर्मियों में खीरे की डिमांड काफी अधिक बढ़ जाती है इसलिए उन्होंने तीन एकड़ की खेत में लोकल प्रजाति के खीरे की खेती प्रारम्भ की। वहीं अभी के समय में हर रोज 80 से 90 किलो या किसी-किसी दिन एक क्विंटल खीरा भी बाजार में बेचते हैं। इस खीरे से अच्छी खासी कमाई हो जाती है। जिससे घर की आजीविका अच्छी तरह से चल जाती है।
महीने में कमा लेते हैं 30 से 40 हजार रुपए
महिला किसान बिजली देवी के अनुसार, अभी खीरे का सीजन है जिसमें खीरे की मूल्य 10 से ₹15 होती है। जिससे अच्छा फायदा मिल जाता है। लेकिन गर्मी हटते ही बरसात के मौसम में हानि भी झेलना पड़ता है। हालांकि वह खीरे की साथ-साथ छोटे पैमाने पर और भी कई तरह की सब्जियों की खेती करते हैं जैसे टमाटर, मिर्च, बैगन इत्यादि। इससे महीने भर में 30 से 40 हज़ार की कमाई हो जाती है।
खेती करने का तरीका
महिला किसान बिजली देवी ने कहा कि खीरे की खेती करने में अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है। इसकी फसल तीन से चार महीने में तैयार हो जाती है। फसल की बुवाई में मजदूर की स्थान स्वयं दंपती काम करते हैं। सबसे बड़ी बात है कि खीरे की खेती में वह रासायनिक नहीं बल्कि जैविक खाद का इस्तेमाल करती हैं।
नहीं मिली कोई सरकारी मदद
बिजली देवी का मानना है कि कभी-कभी मौसम की वजह से आर्थिक रूप से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बीज भी स्वयं से खरीद कर लाकर ही खेती करते हैं। मेरे जैसे और भी कई किसान देवघर जिले में उपस्थित हैं, लेकिन उनको कोई भी सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है। हमें यदि सरकारी सहायता मिल जाए तो अच्छी तरह से खेती कर पाएंगे।