जयपुर के आशीष ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में पांचवे प्रयास में दिखाया कमाल
देश की सबसे बडी परीक्षा यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास करने में कई बार अभ्यर्थियों को लंबा समय लग जाता है।आईएएस बनने का सपना देखने वाले अभ्यर्थियों को पहले, दूसरे या फिर तीसरे कोशिश में कामयाबी नहीं मिल पाती है लेकिन फिर भी ये अभ्यर्थी हौसला नहीं हारते हैं,लक्ष्य से हटते नहीं है।
आज की कहानी भी एक ऐसी ही शख्सयित की है।जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में एक या दो बार नहीं बल्कि चार बार असफलता का सामना किया लेकिन वे पीछे नहीं हटे।डटे रहे और आखिर 5वें कोशिश में जीत हासिल की।हम बात कर रहे हैं ऑल इण्डिया आठवीं रैंक हासिल करने वाले जयपुर निवासी आशीष कुमार सिंघल की।
जयपुर के रहने वाले आशीष कुमार सिंघल ने ऑल इण्डिया 8वीं रैंक हासिल की।आईआईटी खड़गपुर के टॉपर पास आउट और गोल्ड मेडलिस्ट आशीष के लिए यूपीएससी के इस मुकाम तक पहुंचना सरल नहीं था.5वें कोशिश में 8वीं रैंक हासिल करने से पहले 4 कोशिश में आशीष एक बार भी मैन्स का एग्जाम क्लीयर नहीं कर पाए थे।
इतना ही नहीं चौथे कोशिश में तो वे प्री-एग्जाम में ही फेल हो गए थे।राजस्थान पब्लिक सर्विस कमिशन (आरपीएससी) के आरएएस एग्जमा के प्री- पेपर में भी आशीष दो बार फेल हो चुके थे।मूलत: भरतपुर के नदबई तहसील के रहने वाले आशीष जयपुर के वैशाली नगर में रहते है।उन्होंने 12वीं जयपुर से पास की और उसके बाद आईआईटी एंट्रेस देकर आईआईटी खड़गपुर में एडमिशन लिया।साल 2011 से 2017 तक आशीष ने बी-टैक और एम।टैक करने के गुरुग्राम जॉब करने आ गए।आशीष अपने बैच के टॉपर रह चुके है।उनके पिता रमेश चंद अग्रवाल सरकारी टीचर के पद से वर्ष 2022 में सेवानिवृत्त हुए और मां सुधा अग्रवाल हाउस वाइफ है।आशीष ने अपने इस यात्रा को साझा करते हुए कहा कि वर्ष 2017 में आईआईटी खड़गपुर से इंडस्ट्रीयल मैनेजमेंट में एमटैक पास करने के बाद उन्होंने गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में नौकरी प्रारम्भ की।एक वर्ष नौकरी करने के बाद जब उन्हें लगा कि वे कॉरपोरेट सेक्टर की जॉब में बंधकर रह गए और सोशल तौर पर कुछ नहीं कर पा रहे,।तब उन्होंने वर्ष 2018 में जॉब छोड़ी और आईएएस की तैयारी प्रारम्भ की।साल 2019 में आईएएस का पहला एग्जाम दिया और पहले ही कोशिश में प्री-परीक्षा पास करने के बाद मैन्स में फेल हो गए।फिर आशीष ने वर्ष 2020 में निकली यूपीएससी की परीक्षा दी।इस परीक्षा में वे अब प्री-एग्जाम भी क्लीयर नहीं कर पाए और फेल हो गए।हार नहीं मानी और वर्ष 2021 में दोबारा यूपीएससी का एग्जाम दिया।।अब तीसरे चांस में वे वापस प्री-एग्जाम तो क्लीयर कर गए, लेकिन मैन्स में वापस फेल हो गए।परिवार के कुछ लोगों को दोस्तों ने बोला कि ये एग्जाम तुम्हारे लिए नहीं है, दोबारा अपने पुराने प्रोफेशन में आ जाओ,लेकिन माता-पिता ने साथ दिया और कहां जो अच्छा लगे वहीं करना।इसके बाद आशीष ने वर्ष 2022 में दोबारा यूपीएससी का प्री-एग्जाम दिया लेकिन इस बार उनको बहुत बुरी निराशा हाथ लगी और वे प्री-एग्जाम में फेल हो गए।
आशीष ने कहा कि चार बार असफल होने के बाद वे काफी निराश हो गए थे, लेकिन उन्होंने अंतिम बार फिर से एग्जाम देने का निर्णय किया और इस बार उनके भाग्य ने भी उनका साथ दिया।साल 2023 में यूपीएससी का प्री-एग्जाम क्लीयर करने के बाद उन्होंने मैन्स की तैयारी घर से की और पहली बार मैन्स का एग्जाम भी किया।इंटरव्यू की तैयारियों के लिए वे दिल्ली गए और दो-तीन माह वहां रहे।
मैन्स का एग्जाम देने के बाद आशीष को एकदम आशा नहीं थी कि वे साक्षात्कार क्लीयर कर पाएंगे।उन्होंने कहा कि उनका साक्षात्कार और दूसरे अभ्यर्थियों की अपेक्षा थोड़ा अधिक देर तक चला।इंटरव्यू के बाद उन्होंने अपने पुराने दोस्तों से बात भी की थी और बोला था कि कुछ कंपनियों या नए स्टार्टअप में नौकरी हो तो देखकर रखना शाायद वापस आना पड़े।लेकिन परिणाम वाले दिन जब एक दोस्त का टेलीफोन आया और बोला कि भाई तूने से फोड़ डाला, क्या कमाल कर दिया तो विश्वास नहीं हुआ।कंफर्म करने के लिए जब परिणाम देखा तो परिवार के सभी सदस्य (माता-पिता) के आंसू आ गए।आशीष ने कहा कि मुझे आशा नहीं थी कि मैं पास भी हो पाउंगा, लेकिन 8वीं रैंक आई तो विश्वास नहीं हुआ