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जानें, आखिर क्यों मनाया जाता है विश्व धरोहर दिवस

हर वर्ष 18 अप्रैल के दिन विश्व धरोहर दिवस मनाया जाता है. इस खास दिन को मनाने का लक्ष्य केवल ये है कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता फैलाई जाए. यही वजह है कि कई स्थान इस दिन को ‘स्मारकों और स्थलों के लिए तरराष्ट्रीय दिवस’ के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन लोगों को ये एहसास कराने की प्रयास की जाती है, कि ऐतिहासिक स्थल हमारे लिए कितने अहम हैं. इस दिन पूरे विश्व के लोग ऐतिहासिक इमारतों और स्मारकों की यात्रा करके, सम्मेलन आयोजित करके, राउंड टेबल और समाचार पत्रों में लेखों के जरिये लोगों तक अपना जागरूकता संदेश पहुंचाते हैं.

क्यों मनाया जाता है विश्व धरोहर दिवस ?

विश्व धरोहर दिवस की आरंभ 1982 में इंटरनेशनल काउंसिल ऑन मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स (आईसीओएमओएस) ने की थी. पहला विश्व धरोहर दिवस ट्यूनीशिया में मनाया गया था. इसके बाद 1983 में इसे ‘संयुक्त देश शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (यूनेस्को) की स्वीकृति मिली. 1983 के बाद से हर वर्ष भिन्न-भिन्न थीम के साथ विश्व धरोहर दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है.

ऐसे होता है स्थल का चयन

अगर यूनेस्को किसी स्मारक या स्थल को धरोहर घोषित करता है तो उसके बाद उस स्थान का नाम विश्व में काफी प्रसिद्ध हो जाता है. जिस वजह से वहां विदेशी पर्यटकों का आवागमन भी काफी बढ़ जाता है, जिसका फायदा सीधा राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मिलता है. विश्व धरोहर घोषित होने के बाद उस स्थान का खास ध्यान रखा जाता है और उसकी सुरक्षा भी बढ़ा दी जाती है. यदि ये स्मारक ऐसे राष्ट्र में है, जिसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, तो यूनेस्को ही स्मारक की देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाता है.

अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद और विश्व संरक्षण संघ ये दो संगठन है, जो इस बात का आकलन करते हैं, कि स्थल विश्व धरोहर बनने लायक है या नहीं. वर्ष में एक बार इस विषय के लिए समिति बैठती है और जगहों का चयन करती है. स्थान का चयन करने के बाद दोनों संगठन इसकी सिफारिश विश्व धरोहर समिति से करते हैं. फिर ये निर्णय लिया जाता है कि स्थान को विश्व धरोहर बनाना है या नहीं.

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