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जालौर करडा गांव में इस चीज की होती है बंपर पैदावार

जालौर मारवाड़ का मेवा यानि केर सांगरी की इन दिनों बहार है बादाम से महंगा मिलने वाला केर यहां की झोपड़ी से निकलकर फाइव स्टार होटल्स के मैन्यु में भी शामिल हो चुका है केर सांगरी ऐसी पैदावार है जो शुष्क मरुस्थलीय भूमि पर अपने आप उग आते हैं इसे न खाद पानी की आवश्यकता न देखभाल की लेकिन बेचने जाओ तो महंगा इतना कि मालामाल हो जाओ

केर मुख्यत: पश्चिमी राजस्थान की फसल है इसकी सबसे अधिक पैदावार जालौर, सांचौर, रानीवाड़ा, भीनमाल में होती है इन दिनों केर सांगरी की उपज किसानों को रोजगार दिला रही है जालौर जिले के 20 गांव में इसकी बंपर पैदावार होती है करडा गांव इसकी पैदावार में सबसे आगे है क्योंकि इस क्षेत्र में सबसे अधिक कंटीली झाड़ियां और खेजड़िया हैं इसकी पैदावार बहुत सरल है किसान को इसे न बोने की आवश्यकता है ना इसका ध्यान रखने की यह खुद ही तैयार होने वाला फल है

मरुस्थल में खेजड़ी
राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में खेजड़ी का पौधा काफी तादाद में मिलता है ये सूखे इलाकों में उगने वाला पौधा है इससे ही सांगरी मिलती है ताजा सांगरी को सब्जी बनाने में प्रयोग में लाया जाता है इन्हें सुखाकर आप वर्ष भर इस्तेमाल में ले सकते हैं सांगरी रेतीले इलाकों में उगने वाली एक सब्जी है जो बरसात के दिनों में काफी तेजी से बढ़ती है ये सूखे इलाकों में पैदा होने वाली सब्जी है इसे केर के साथ मिलाकर बनाया जाता है जिसे केर सांगरी की सब्जी बोला जाता है

बंजर भूमि का बादाम
सांगरी की खेती नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि ये बहुत ही खास सब्जी है, जो प्राकृतिक रूप से उगती है इसमें किसी प्रकार के कीटनाशक या दवा की आवश्यकता नहीं होती है न ही किसी प्रकार की खाद की सांगरी खेजड़ी के पेड़ पर उगती है, जो स्वाभाविक रूप से उगती है लेकिन इसकी डिमांड को देखते हुए अब कई किसान इसकी खेती करने लगे हैं इसकी खेती बंजर भूमि में की जा सकती है

एक केर कई नाम
केर राजस्थान का एक ख़ास फल है, जो सबसे ज़्यादा राजस्थान में ही उगता है इसकी वजह ये है कि केर की खेती के लिए वहां की जलवायु उपयुक्त है वैसे तो ये झाड़ी के रूप में उग आता है, लेकिन किसान व्यवासायिक तौर पर केर की खेती करके अच्छी आमदनी कर सकते हैं अचार, सब्ज़ी बनाने में केर की काफ़ी मांग होती है इतना ही नहीं, पेट की रोग में भी ये काफ़ी उपयोगी है केर को करीर, केरिया, कैरिया और टिंट जैसे कई नामों से जाना जाता है

अचार से लेकर औषधि तक
केर की खेती रेतीली और बंजर दोनों प्रकार की भूमि में की जा सकती है राजस्थान के मरुस्थल में इसका पौधा जंगली रूप में पाया जाता हैं प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पौधों से ही इसकी पौध और बीज तैयार कर उन्हें नए पौधे के रूप में लगाया जाता है राजस्थान के अधिकतर शुष्क क्षेत्र जहां सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है और ज़मीन बंजर है, ऐसी जगहों के लिए केर की खेती किसी वरदान से कम नहीं है केर का इस्तेमाल सब्ज़ी, अचार बनाने से लेकर औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है

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