बड़ा ही चमत्कारी है 100 साल पुराना यह बरगद का पेड़
कोडरमा जिले के झुमरी तिलैया नगर परिषद क्षेत्र के गुमो में स्थित एक सौ वर्षो से भी अधिक पुराने बरगद के पेड़ से लोगों की काफी आस्था जुडी हुई है। यहां गांव के लोगों के अलावे जिले के विभिन्न इलाकों से लोग अपनी आस्था लेकर पहुंचते हैं। बरगद के पेड़ के नीचे आपको काफी संख्या में लकड़ी और पत्थर के खूंटा गड़े हुए दिख जाएंगे। इसके पीछे लोगों की एक परंपरा भी जुड़ी हुई है।
गुमो निवासी मनोज कुमार पांडेय ने बोला कि पहले इस गांव में खेती-बाड़ी से जुड़े लोग गाय, बैल पालते थे। करीब 100 वर्ष पहले पशु पालक यमुनी देवी के गाय और भैंस के बच्चों की जन्म के बाद लगातार मृत्यु होने पर उन्होंने इस पेड़ के नीचे मन्नत मांगा था। जिसके बाद उनकी मन्नत पूरी होने पर पेड़ के नीचे लकड़ी या पत्थर का खूंटा गाड़ने और बकरा बलि की प्रथा प्रारम्भ हुई।
मन्नत पूरी होने पर गाड़ते हैं खुटा
मनोज पांडेय ने कहा कि तब से लेकर आज तक गुमो के लोग इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। गुमो एवं इसके आस पास के क्षेत्र में पशु पालकों को इस प्रकार की कठिनाई होने पर पशुपालक बरगद पेड़ के नीचे पहुंचकर मन्नत मांगते हैं और जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो लोग यहां पर खूंटा गाड़ कर बकरे की बलि भी देते हैं।
सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए देव पूजन पूजा करने पहुंचते हैं लोग
मनोज पांडेय ने कहा कि इस बरगद के पेड़ के बीच लोगों की काफी आस्था जुडी हुई है। जिसकी वजह से लोग अपने घरों में विवाह के मौके पर वर वधु के सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए देव पूजन करने इस पेड़ के नीचे पहुंचते हैं। प्रत्येक साल में 8 से 10 लोग मन्नत पूरी होने पर इस पेड़ के नीचे खूंटा खड़ा करतें हैं और बकरे की बलि देते हैं ।
दूध की पहली खीर बरगढ़ पेड़ को किया जाता है अर्पित
गुमो निवासी पशुपालक मंजू देवी ने कहा कि गांव में स्थित इस सालों पुराने बरगद पेड़ पर लोगों की काफी अधिक आस्था है। पशु के गुम होने के बाद उन्होंने भी यहां पर मन्नत मांगा था जो 15 दिन के भीतर पूरी हुई और उनकी गुम हुए पशु ठीक सुरक्षित वापस कर लौट गए थे। उन्होंने कहा कि जब भी गाय बच्चा देती है तो उसके दूध की पहली खीर बरगद के पेड़ पर चढ़ाया जाता है और पूजा की जाती है।