बेहद खास है मनोहर की हरियाणवी स्टाइल की यहाँ की जलेबी
गर्म कढ़ाई में खौलते हुए ऑयल में बनते जलेबी को देखकर हर किसी के मुंह में पानी आने लगता है और लोग खाने के लिए बेताब हो जाते हैं। जलेबी चीज हीं ऐसी है कि इस मिठाई का रसपान करने से कोई भी अपने-आप को रोक नहीं पाता है। मीठे में रसभरी जलेबी खाने का मजा ही कुछ और है, लेकिन क्या आप जानते हैं यह कौन सी जलेबी है और यह बहुत टेस्टी आइटम कहां मिलता है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इस जलेबी को खाने के लिए आपको कहां आना होगा।
दरअसल, इस लजीज जलेबी को खाने के लिए बांका जिला के अमरपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित गोला चौक से पश्चिम दिशा की ओर महज 500 मीटर की दूरी पर आना होगा, जहां यह दुकान अवस्थित है और हरियाणा के मनोहर इस दुकान को चलाते हैं। यहां आपको मनोहर के हाथ से बने हरियाणवी स्पेशल जलेबी खाने को मिलेगा।जलेबी खाने वालों की यहां लंबी लाइन लग जाती है। खास बात यह है कि अमरपुर में किसी से पूछने पर इस दुकान का पता मिल जाएगा।
43 रूपए में मनोहर खिलाते हैं 250 ग्राम जलेबी
मनोहर के हाथ से बने जलेबी का स्वाद ले रहे विनीत साह ने कहा कि बहुत टेस्टी है। मनोहर का जलेबी बनाने का स्टाइल भी सबसे अलग है। अमरपुर में मनोहर कई वर्षो से लोगों को टेस्टी जलेबी खिलाते आ रहे हैं। स्वाद ऐसा है कि जो एक बार खा लेंगे वो बार-बार खाने के लिए आएंगे। इस जलेबी का खास स्वाद पूरे बांका जिला में नहीं मिलेगा।
मनोहर 43 रूपए में 250 ग्राम जलेबी खिलाते हैं और लोग चाव से खाते हैं। मनोहर ने कहा कि बड़े प्यार से लोगों को जलेबी बनाकर खिलाते हैं। यही वजह है कि लोगों का विश्वास जीतने में अब तक सफल रहे हैं। हरियाणा से आकर बिहार के लोगों का दिल जीतना सरल काम नहीं है। लोगों का इतना प्यार मिल रहा है कि अमरपुर के हीं होकर रह गए हैं।
जलेबी में एक साथ मिलेगा खट्टा और मीठा का स्वाद
मनोहर ने कहा कि जलेबी बनाने से पहले मैदा के साथ-साथ काजू का पाउडर, इलायची पाउडर, चीनी और दूध के साथ अन्य सामग्री का मिश्रण कर अच्छे से घोल तैयार करते हैं। उसके बाद कपड़े में बांधकर एक छिद्र के द्वारा जलेबी का आकार देते हुए कढाई में एक साथ कई जलेबी तैयार करते हैं। इसके उपरांत जलेबी को चीनी के रस में डालकर छोड़ देते हैं।
चीनी का रस घुल जाने के बाद जलेबी को निकालकर लोगों को गरमा-गरम परोसते हैं। खास बात यह है कि इस जलेबी में आपको खट्टा और मीठा का स्वाद एक साथ मिलेगा। उन्होंने कहा कि रोजाना करीब 10 किलो से अधिक जलेबी की बिक्री हो जाती है। वहीं 1 हजार से 1500 तक की बिक्री हो जाती है। उन्होंने कहा कि जलेबी बनाने का काम करीब 8 वर्ष से कर रहे हैं और फायदा भी कमा रहे हैं। पूरा परिवार इसी दुकान पर निर्भर है।