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ब्रज की होली: बांकेबिहारी मंदिर में बरसे आस्था के रंग

बिहारी बिहारिन की रे मोपै यह छवि बरनि न जाय…, तेरौ कारौ चुटीला रेशम कौ कमर पड़ों लहराय…, कैसौ ये राष्ट्र निगोरा जगत होरी ब्रज होरा… इन होरी के पदों के बीच बांकेबिहारी मंदिर में इन दिनों होली का उल्लास छाया है. टेसू का रंग, सुगंधित हर्बल गुलाल और फूलों की होली भक्त और ईश्वर के बीच हो रही है. श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन के साथ होली में इस कदर सराबोर हो रहे हैं कि हर कोई सुधबुध खोकर नाचते लगता है.

श्रीबांकेबिहारी मंदिर में चल रही पांच दिवसीय होली में शुक्रवार सुबह से ही देशभर से श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन के साथ ही होली का आनंद लेने के लिए आ रहे हैं. श्रद्धालुओं में मंदिर में हो रही होली को लेकर गजब उत्साह है. सेवायत गोस्वामी गर्भगृह से बाहर जगमोहन में चांदी के सिंहासन पर ठाकुरजी को विराजमान कर रहे हैं. उन्हें सफेद रंग की पोशाक धारण करा रहे हैं. सेवायत गोस्वामी पहले पदों के गायन के बीच अपने लाडले आराध्य बांकेबिहारी को रिझा रहे हैं और चांदी की पिचकारी से इत्र, केसर, गुलाबजल से होली खिला रहे हैं.

इसके बाद ठाकुरजी को सेवित सुगंधित हर्बल लाल, पीला, गुलाबी, हरा गुलाल भक्तों पर बरसाया जा रहा है. वहीं बांकेबिहारी मंदिर के गर्भगृह के पीछे बनी कच्ची रसोई में कढ़ाइयों में तैयार टेसू का रंग टोकनाओं में भरकर सेवकों द्वारा लाया जा रहा है. ठाकुरजी के सामने रखे बड़े टोकने में भरे टेसू के रंग से पिचकारी भरकर सेवायत गोस्वामी भक्तों पर बरसा रहे हैं.

बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत प्रहलाद वल्लभ गोस्वामी ने कहा कि ठाुकरजी जब भक्तों के साथ होली खेलते-खेलते थक जाते हैं तो आराम के समय सेवायत गोस्वामी उनकी गुलाल के इत्र से मालिश कर रहे हैं. बीच-बीच में पर्दा लगाकर ठाुकरजी का चाट, पकौड़ी, दही सौंठ की गुजिया, दही बड़ा का विशेष भोग लगाया जा रहा है. शयन से पहले ठाकुरजी को अधौटा मेवा और केसर का दूध और शयन पर मेवा का दूध सेवित किया जा रहा है.

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