मीन राशि में शनि के प्रवेश से इन राशि वालों का चमकेगा भाग्य
ज्योतिषशास्त्र में शनि को बहुत जरूरी माना जाता है। शनिदेव को पापी और क्रूर ग्रह बोला जाता है। शनि के अशुभ प्रभावों से हर कोई भयभीत रहता है। शनि के राशि बदलाव से किसी राशि पर शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या प्रारम्भ हो जाती है तो किसी राशि से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का असर समाप्त हो जाता है। शनि ढाई वर्ष में एक बार राशि बदलाव करते हैं। शनिदेव 2024 में राशि बदलाव नहीं करेंगे। अब शनिदेव 2025 में राशि बदलाव करेंगे। शनि के राशि बदलाव करने से मेष राशि से शनि की साढ़ेसाती प्रारम्भ हो जाएगी और मकर राशि पर से साढ़ेसाती और वृश्चिक, कर्क राशि पर से शनि की ढैय्या हट जाएगी। इन 3 राशियों के अच्छे दिन प्रारम्भ हो जाएंगे। 29 मार्च 2025 से मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती प्रारम्भ हो जाएगी। 31 मई 2032 तक मेष राशि पर शनि की साढ़ेसाती का असर रहेगा। शनि की साढ़ेसाती लगने पर कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए प्रतिदिन श्री हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और श्री राम जय राम जय जय राम का जप करना चाहिए। ऐसा करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और जिस आदमी पर हनुमान जी की कृपा हो जाए उसपर शनि का अशुभ असर नहीं पड़ता है। आगे पढ़ें श्री हनुमान चालीसा-
- श्री हनुमान चालीसा- (Shree Hanuman Chalisa)
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निजमनु मुकुरु सुधारि
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेउ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये
श्री रघुबीर हरषि उर लाये
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते
तुम एहसान सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना
लंकेश्वर भए सब जग जाना
जुग सहस्र जोजन पर भानु
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तें काँपै
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै बीमारी हरे सब पीरा
जपत निरन्तर हनुमत बीरा
संकट तें हनुमान छुड़ावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा
तिन के काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै
अन्त काल रघुबर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ दिल महं डेरा।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप
राम लखन सीता सहित, दिल बसहु सुर भूप।।