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‘मेवल की महारानी’ के प्रसन्न होने पर उठती हैं लपटें

मंगलवार से चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ हो रही है. शक्ति के उपासक देवी की आराधना में लीन रहेंगे. पूरे राष्ट्र सहित राजस्थान में भी कई देवी मंदिर ऐसे हैं जिनके प्रति भक्तों में अगाध आस्था है. इसे लोग अंधविश्वास भी कह सकते हैं. उदयपुर में भी एक ऐसा ही देवी मंदिर है जिसके लिए बोला जाता है कि यहां देवी अग्नि स्नान करती हैं.

मेवाड़ अपनी शौर्य गाथाओं के साथ आस्था और धर्म के ऐतिहासिक और पौराणिक किस्से और मान्याताएं अपने में समेटे हुए है. ऐसी ही मान्यता वाली है मेवाड़ की आराध्य देवी. ये अपने अग्नि स्नान के लिए पहचानी जाती हैं. इनके बारे में गहरी मान्यता ये है कि यहां आने से लकवा बीमार ठीक हो जाते हैं. ये हैं उदयपुर जिले के बम्बोरा गांव में विराजी ईडाणा देवी. इनकी विशाल प्रतिमा यहां स्थापित है. कहते हैं ये स्वयं अग्निस्नान करती हैं. जो भी भक्त अग्निस्नान के दर्शन कर लेता है माना जाता है माता उसकी इच्छा जल्द पूरी कर देती हैं.

देवी के प्रसन्न होने पर उठती हैं लपटें
ईडाणा देवी के लिए भक्तों में गहरी आस्था है. क्षेत्र के लोग कहते हैं माता के मंदिर में लकवे का उपचार भी होता है. यदि कोई लकवाग्रस्त आदमी यहां आता है तो वह यहां से निरोग होकर लौटता है. देवी इडाणा मां का यह मंदिर अलौकिक अग्नि स्नान के लिए पूरे राष्ट्र में मशहूर है. देवी मां का यह अग्निस्नान इसलिए और भी जरूरी हो जाता है, क्योंकि कहते है यहां जब भी देवी मां प्रसन्न होती हैं तो अपने आप ही आग की लपटे उठने लगती हैं.

राज परिवार की कुलदेवी
इडाणा माता को क्षेत्रीय राजा रजवाड़े अपनी कुलदेवी के रूप में पूजते आए हैं.माता के इस मंदिर में श्रद्धालु चढ़ावे में लच्छा चुनरी और त्रिशूल लाते हैं. मंदिर में कोई पुजारी नहीं है. यहां सभी लोग देवी मां के सेवक हैं. यहां सभी धर्मों के लोग आते हैं. जो भी आता है वह देवी मां का सेवक बन जाता है.

ईडाणा माता मंदिर पहुंचने के लिए ये रूट फॉलो करें
उदयपुर शहर से 60 किमी. दूर कुराबड-बम्बोरा मार्ग पर मेवाड़ का प्रमुख शक्तिपीठ ईडाणा माता मंदिर स्थित है. कुराबड तक आपको बस मिल जाएगी. अपने गाड़ी से भी यहां आया जा सकता है. इस मंदिर के ऊपर कोई छत नहीं है. ये बिल्कुल खुले चौक में स्थित है. यह मंदिर उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से भी मशहूर है.

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