ये सुपर हेल्दी मिठाई यूपी के इस शहर से निकलकर छा रही है पूरी दुनिया में…
आंवले की बर्फी का नाम सुनकर ही सबके मुंह में आ जाता है पानी, लेकिन, यह भी संभव है कि हम मे से ज्यादातर लोगों को शायद पता भी न हो कि आंवले की बर्फी भी होती है। बात उठी है तो यह प्रश्न भी सामने आयेगा ही कि आंवले की बर्फी बला क्या है? कहां मिलती है? क्यों इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए? बेसिकली यह यूपी के प्रतापगढ़ जिले की इस स्पेशियालिटी है। सभी प्रश्नों का उत्तर प्रतापगढ़ में ही मिल सकता है। यहां बनने वाली आंवले की बर्फी की डिमांड अब इण्डिया ही नहीं फॉरेन से भी आने लगी है। लेकिन, अभी सप्लाई प्रारम्भ नहीं हुई है। राष्ट्र के मेट्रो सिटीज में ही इसकी सप्लाई प्रारम्भ हो पायी है वह भी डिमांड की केवल 20 फीसदी। यह प्रतापगढ़ में ही क्यों तैयार होती है? क्यों यहां की बर्फी के इंटरनेशनल बनने की आसार उपस्थित है? इस स्टोरी के जरिए आपको ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर मिलने वाले हैं।
इस तरह से तैयार होती है आंवले की बर्फी
आंवले की बर्फी तैयार करने के लिए इसे थोड़ा उबाला जाता है। उबलने के बाद आंवला लूज हो जाता है तो उसे मसल दिया जाता है। पूरी तरह से मसलने के बाद इसका रेशा अलग कर दिया जाता है और फिर चीनी, इलाइची और काजू को मिक्स करके पकाया जाता है। पकाते समय ध्यान रखा जाता है कि यह थोड़ा थिक होने लगे। इसी दौरान लैब टेस्टिंग के लिए सैंपल लिया जाता है। सैंपल ओके होने पर इसे ट्रे में डालकर जमने के लिए छोड़ दिया जाता है। चीनी का इस्तेमाल इसे जमाने के लिए किया जाता है। पूरी तरह से जम जाने पर इसकी कटिंग और पैकिंग की जाती है।
जल्द लांच करेंगे चीनी की स्थान गुड़ वाली आंवला बर्फी
प्रतापगढ़ में आंवले से तैयार होने वाली प्रोडक्ट्स में अब चीनी के साथ ही गुड़ का इस्तेमाल प्रारम्भ हो गया है। आंवले से बनने वाला मुरब्बा हो या फिर कैंडी, दोनो में चीनी की स्थान गुड़ का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इससे इसका स्वाद भी बढ़ता है और इसकी न्यूट्रीशनल वैल्यू भी रिच हो जाती है।
नवंबर से जनवरी तक है बेस्ट सीजन
आंवले की फसल का सीजन नवंबर से लेकर जनवरी के बीच बेस्ट माना जाता है। इस दौरान मिलने वाला आंवला पूरी तरह से फ्रेश होता है। इसका इस्तेमाल पेड़ से टूटने के दस दिन के भीतर किया जाय तो इसकी क्वालिटी पूरी तरह से फ्रेश रहती है। किसान बताते हैं कि आंवले की फसल की एक और बड़ी विशेषता है कि यह हर वर्ष फसल देता है। यानी किसानों के पास हर वर्ष कमाई का भरपूर मौका होता है।