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श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अनुसार, 29 जुलाई से शुरू होगी अमरनाथ की यात्रा

पवित्र तीर्थस्थल की वार्षिक तीर्थयात्रा, अमरनाथ यात्रा 29 जून से प्रारम्भ होगी और 19 अगस्त को खत्म होगी. 52 दिवसीय यात्रा के लिए रजिस्ट्रशन सोमवार, 15 अप्रैल से प्रारम्भ हो गए हैं.  कड़ी सुरक्षा और चौकसी के बीच हर वर्ष होने वाली अमरनाथ यात्रा दो मार्गों से होती है – अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबा छोटा लेकिन तीव्र बालटाल मार्ग से. भौगोलिक परिस्थितियों के कारण वर्ष में एकमात्र समय ये है जब अमरनाथ गुफा के दर्शन सुलभ होते हैं.

श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) पूरे विश्व के भक्तों के लिए सुबह और शाम की आरती (प्रार्थना) का सीधा प्रसारण भी कराता है. यात्रा और मौसम के बारे में असली समय की जानकारी प्राप्त करने और कई सेवाओं का औनलाइन फायदा उठाने के लिए अमरनाथ यात्रा का ऐप Google Play Store पर मौजूद कराया गया है. अमरनाथ की पवित्र गुफा लदार घाटी में स्थित है जो राजधानी श्रीनगर से 141 किमी की दूरी पर और समुद्र तल से 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. अमरनाथ गुफा साल के अधिकतर समय ग्लेशियरों और बर्फ से ढके पहाड़ों से ढकी रहती है.

इस कथा को सुनाने के लिए वो अकेले मां पार्वती को सुनाना चाहते थे, इसलिए अपना नाग, नंदी, चंद्रमा सभी को पीछे छोड़ गए थे. इसके बाद ईश्वर शिव ने आग जलाई और मां पार्वती को अमर होने की कथा सुनाई. बीच-बीच में उन्हें हूं-हूं होने की आवाज आती रही, उन्हें लगा माता पार्वती हुंकार भर रही हैं, लेकिन माता पार्वती नहीं दो कबूतर उनकी कथा सुन रहे थे और बीच में गूटर गू, गुटर गू कर रहे थे. जब कथा खत्म हुई तो शिवजी ने देखा माता पार्वती तो सो रही हैं और दो कबूतर उनकी कथा सुन रहे हैं, इस पर शिवजी को बहुत गुस्सा आया. उन्होंने कबूतरों को श्राप देना चाहा, लेकिन कबूतर का जोड़ा कहा कि यदि आप हमें मार दोगे तो यह कथा झूठी हो जाएगी. इस पर ईश्वर शिव ने दोनों को बोला कि तुम इस स्थान और कथा के साक्षी रहोगे. तब से इस स्थान का नाम भी अमरनाथ पड़ा.

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