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दो दिन रहेगी वैशाख मास की अमावस्या, जरूर करें जल का दान

इस वर्ष वैशाख मास की अमावस्या तिथियों की घट-बढ़ की वजह से दो दिन रहेगी. ये तिथि 7 मई की सुबह 10.45 बजे से प्रारम्भ होगी और 8 की सुबह 8.45 तक रहेगी. इस अमावस सतुवाई अमावस्या बोला जाता है. अभी गर्मी का समय है, इसलिए अमावस्या पर जल का दान जरूर करें. जानिए अमावस्या पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, वैशाख अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को जूते-चप्पल और छाते का दान भी करें. शास्त्रों में अमावस्या को भी पर्व की तरह कहा गया है. इस पर्व की आरंभ सूर्य को अर्घ्य देकर करनी चाहिए.

पितरों के लिए करें श्राद्ध

अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म जरूर करना चाहिए. इस बार श्राद्ध की अमावस्या 7 मई को है, इस तिथि की आरंभ सुबह करीब 10.45 बजे से होगी. अगले दिन यानी 8 मई की सुबह 8.45 पर ये तिथि समाप्त हो जाएगी. पितरों के लिए धूप-ध्यान दोपहर में ही किए जाते हैं, इसलिए 7 मई का दिन श्राद्ध कर्म करने के लिए श्रेष्ठ है.

दोपहर में गोबर के कंडे जलाएं और जब धुआं निकलना बंद हो जाए तब गुड़ और घी से धूप अर्पित करें. इस अमावस्या पर किसी पवित्र नदी में स्नान करें और स्नान के बाद नदी किनारे दान-पुण्य जरूर करें.

इन चीजों का करें दान

इस अमावस्या पर किसी सार्वजनिक जगह पर प्याऊ लगवाएं या किसी प्याऊ में मटके का और जल का दान भी कर सकते हैं.

जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं. मौसमी फल जैसे आम, तरबूज, खरबूजा का दान करें.

जूते-चप्पल, सूती वस्त्र, छाता भी दान कर सकते हैं. किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें और गायों को हरी घास खिलाएं.

सूर्य पूजा से करें दिन की शुरुआत

अमावस्या पर सुबह शीघ्र उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें. इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें. अर्घ्य चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए. सूर्य को पीले फूल चढ़ाएं. सूर्य देव के लिए गुड़ का दान करें. किसी मंदिर में पूजा-पाठ में काम आने वाले तांबे के बर्तन दान कर सकते हैं.

पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें

घर की छत पर या किसी अन्य सार्वजनिक जगह पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखें.

ऐसे करें शिव जी का अभिषेक

वैशाख मास की अमावस्या पर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करते हुए शिवलिंग पर ठंडा जल चढ़ाएं. बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े का फूल, जनेऊ, चावल आदि पूजन सामग्री अर्पित करें. मिठाई का भोग लगाएं. धूप-दीप जलाएं, आरती करें. पूजा के बाद प्रसाद बांटें और स्वयं भी लें. किसी मंदिर में शिवलिंग के लिए मिट्टी के कलश का दान करें, जिसकी सहायता से शिवलिंग पर जल की धारा गिराई जाती है.

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