लाइफ स्टाइल

महाश्मशान में चिता भस्म की होली पर गहराया विवाद

 

काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित वेद प्रकाश यादव के मुताबिक श्मशान घाट पर स्त्रियों को जाने की अनुमति नही होती है. आज के समय में स्त्री और युवतियां बड़ी संख्या में जाकर काशी के श्मशान घाट पर चिताओं के भस्म से होली खेलती है. ऐसे में जहां एक तरफ कुप्रथा को बढ़ावा मिल रहा है, तो वही श्मशान घाट पर होली खेलने वाली युवतियों और स्त्रियों के ग्रह भी उनके अनुकूल नहीं रहता है. श्मशान में चिताओं के भस्म से होली केवल महादेव यानी ईश्वर शिव ही खेल सकते है. रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद काशी के महाश्मशान पर होली खेले जाने को लेकर विद्वानों ने कहा कि शास्त्रों में रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद मणिकर्णिका घाट पर स्थित मशाननाथ के मंदिर में किन्नरों, अघोर और तांत्रिको के द्वारा भस्म चढ़ाने की परंपरा है. ऐसा नहीं है, कि कोई भी आम आदमी जाकर चिताओं के भस्म की होली श्मशान घाट पर खेले.

 

काशी के विद्वानों के मुताबिक बिना शस्त्रगत किसी भी प्रथा को कुप्रथा इंकार जाता है. ऐसे में ऐसी नयी परंपरा जिसे प्रथा के नाम पर बढ़ावा दिया जा रहा है, उसे बंद कर देना चाहिए. वही इस परंपरा को लेकर काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी कहा कि उन्होंने न तो किसी शास्त्र में चिता भस्म की होली की प्रथा को पढ़ा है और न ही कभी सुना है. काशी में परंपरा के नाम पर नयी चीजों को लाना और समाज के ऊपर थोपना बहुत ही गलत है. वही काशी हिंदू यूनिवर्सिटी के वेद विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो.हरिश्वर दीक्षित ने भी महाश्मशान पर होली की किसी परंपरा से मना किया. उल्लेखनीय है, कि काशी में रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद मणिकर्णिका घाट पर बड़ी संख्या में युवा और युवतियों की टोली चिता भस्म की होली खेलते है, वही कुछ साल पहले हरिश्चंद्र घाट पर रंगभरी एकादशी के दिन चिताओं के बीच होली खेलने का आयोजन प्रारम्भ किया गया है. इस बार हरिश्चंद्र घाट पर 20 मार्च और मणिकर्णिका घाट पर 21 मार्च को चिता भस्म की होली का अयोजन किया जाना है.

 

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