चैत्र महीने की अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिये करे ये उपाय
सोमवार को चैत्र महीने की अमावस्या है. इस दिन इंद्र नाम का योग बन रहा है. अमावस्या और योग दोनों के स्वामी पितर हैं, इसलिए ये दिन स्नान-दान और पितृ पूजा के लिए बहुत खास रहने वाला है.
नारद पुराण का बोलना है कि इस दिन पितरों की विशेष पूजा करनी चाहिए. चैत्र महीने की अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से पितरों को तृप्ति मिलती है. वहीं, अन्य धर्म ग्रंथों में भी अमावस्या को पर्व बोला गया है, इसलिए इस तिथि पर तीर्थ स्नान और दान करने की परंपरा बनी है.
सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या शुभ
डॉ। मिश्र का बोलना है कि सौम्य वार में पड़ने वाली अमावस्या शुभ होती है. सोमवार चंद्रमा का दिन है और पुराणों में चंद्रमा पर ही पितृ लोक कहा गया है. इस कारण सोमवार को अमावस्या का योग बहुत खास रहेगा. शुभ वार को अमावस्या में चलते किए गए स्नान-दान और श्राद्ध का पुण्य फल मिलता है.
ज्योतिष ग्रंथों में कहा गया है कि सोम, मंगल, शुक्र और गुरुवार को अमावस्या हो तो ये राष्ट्र के लिए शुभ होती है. इस योग से अन्य अशुभ ग्रहों के असर में कमी आती है. वहीं, बुध, शनि और रविवार को अमावस्या अशुभ फल देती है.
अमावस्या और पितरों का संबंध
सूर्य की हजारों किरणों में जो सबसे खास है उसका नाम अमा है. उस अमा नाम की किरण के तेज से ही सूर्य धरती को रोशन करता है. जब उस अमा किरण में चंद्रमा वास करना है यानी चंद्रमा के होने से अमावस्या हुई. तब उस किरण के जरिये चंद्रमा के उपरी हिस्से से पितर धरती पर आते हैं, इस कारण श्राद्ध के लिए अमावस्या तिथि का महत्व है.
अमावस्या पर क्या करें और क्या नहीं
1. अमावस्या पर सुबह शीघ्र उठकर तीर्थ स्नान करने की परंपरा है. ये न हो पाए तो घर में ही गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं. इसके बाद संकल्प लें और ईश्वर की पूजा कर के जरूरतमंद लोगों को खाने की चीजें और कपड़ों का दान दें.
2. अमावस्या तिथि के स्वामी पितृ होते हैं और यह दिन पितरों को समर्पित होता है. इसलिए इस पर्व को पूर्वजों का दिन भी बोला जाता है. इस दिन पितरों की संतुष्टि के लिए श्राद्ध-तर्पण भी किया जाना चाहिए. अमावस्या पर जरूरतमंद लोगों को भोजन कराने से यह सीधा पितरों तक पहुंचता है, ऐसा ग्रंथों में लिखा है.
3. इस पर्व पर किसी जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं और दान दें. अमावस्या का दिन बहुत शुभ माना जाता है. इस दिन मांस और नशे से दूर रहें. मान्यता है कि ऐसा करने से पितृदोष लगता है.