दिन में भगवान राम अयोध्या में नहीं बल्कि रहते हैं इस मंदिर में…
Lord Rama: शायद ये बात आपको अजीब लगे लेकिन ऐसा बोला जाता है कि ईश्वर राम के दो निवास हैं, दिन में ओरछा मंदिर में ईश्वर राम रहते हैं और शाम को सोने के समय अयोध्या जाते हैं। अयोध्या की तरह मध्य प्रदेश राजाराम ओरछा मंदिर भी बहुत खास है और इसके पीछे एक कहानी भी प्रचलित है। दरअसल मध्य प्रदेश के ओरछा राजा राम गवर्नमेंट मंदिर में आज भी यह दोहा लिखा है कि है कि ‘राम के दो निवास खास, दिवस ओरछा रहत, शयन अयोध्या वास।’ यानी श्रीराम के दो निवास खास हैं, दिनभर ओरछा में रहने के बाद वे शयन के लिए अयोध्या चले जाते हैं। रोजाना रात में ब्यारी (संध्या) की आरती होने के बाद ज्योति निकलती है, जो कीर्तन मंडली के साथ पास ही पाताली हनुमान मंदिर ले जाई जाती है। मान्यता है कि ज्योति के रूप में ईश्वर श्रीराम को हनुमान मंदिर ले जाया जाता है, जहां से हनुमान जी शयन के लिए ईश्वर श्रीराम को अयोध्या ले जाते हैं।
आइए जानते हैं इस मंदिर के पीछे की कहानी–
ऐसा बोला जाता है कि 16वीं शताब्दी में ओरछा के बुंदेला राजा मधुकरशाह की रानी कुंवरि ईश्वर राम की बहुत बड़ी भक्त थी, लेकिन राजा ईश्वर कृष्ण को मानते थे। कई बार दोनों में इस बात को लेकर लड़ाई होती थी। एक बार राजा ने रानी से वृंदावन जाने को कहा, लेकिन रानी अयोध्या जाना चाहती थी, इसलिए उनकी बात नहीं मानी? ऐसे में राजा को बहुत गुस्सा आ गया और उन्होंने व्यंग्य करते हुएरानी से बोला कि यदि इतना ईश्वर राम को मानती हो तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लाकर दिखाओ। रानी अयोध्या गईं, बहुत मुश्किल तपस्या की, लेकिन सफल नहीं हुई तो सरयू नदी में कूद गईं। महारानी की ऐसी भक्ति से प्रसन्न होकर ईश्वर राम ने उनके साथ चलने के लिए तीन शर्तें रखीं। उन्होंने बोला कि मैं यहां से उठकर जहां रख दिया जाउंगा वहीं विराजित हो जाउंगा, वहां से नहीं ऊठंगा। इसके अतिरिक्त उन्होंने बोला कि मैं जहां जाउंगा, वहां किसी और की सत्ता नहीं होगी और मुझे बाल रूप में पुष्पक विमान में लेकर जाओ।
चार प्रहर पुलिस देती है बंदूकों से सलामी
इन्हें राजा के रुप में तो पूजा ही जाता है, बतौर राजा उन्हें दिन के चार पहर सलामी भी दी जाती है। यह परम्परा यहां अंग्रेजी शासन काल के पूर्व से चली आ रही है। वर्तमान में यहां पर एमपी पुलिस बंदूकों की सलामी देती है। यह वह नगरी है, जहां ईश्वर के अतिरिक्त किसी भी वीआईपी को सलामी नहीं दी जाती है।