लाइफ स्टाइल

EduCare न्यूज: AIIMS मदुरई की बदहाली पर बोले डॉक्टर…

हाल ही में AIIMS मदुरई में पोस्टेड एक चिकित्सक ने इंस्टीट्यूट में पढ़ाई और प्रैक्टिस कर रहे स्टूडेंट्स की कठिनाई सोशल मीडिया पर शेयर की है. चिकित्सक ध्रुव चौहान ने बोला है कि AIIMS मदुरई में जो स्तिथि बनी हुई है, वो AIIMS के स्टैंडर्ड पर खरी नहीं उतरती है.

उन्होंने ये भी बोला कि ये बिना सोचे-समझे और महत्वपूर्ण सुविधाओं के बगैर कई मेडिकल कॉलेज खोले जाने का नतीजा है कि यहां AIIMS जैसे इंस्टीट्यूट का ये हाल है. मेडिकल कॉलेजों में बुनियादी सुविधाओं की कमी का खामियाजा स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है.

दूसरे इंस्टीट्यूट में शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं स्टूडेंट्स : चिकित्सक चौहान
डॉक्टर चौहान ने कुछ पॉइंट्स में इंस्टीट्यूट की खामियों का जिक्र भी किया है.उन्होंने AIIMS मदुरई के खाली वॉर्ड और बिना पुस्तकों की लाइब्रेरी की फोटोज भी शेयर कीं. उन्होंने लिखा है- AIIMS, सुनने में तो किसी बहुत बड़े इंस्टीट्यूट का नाम लगता है लेकिन अब ऐसा नहीं है.

उन्होंने ये भी बोला कि इस इंस्टीट्यूट के मेडिकल स्टूडेंट्स ने डायरेक्टर से उन्हें किसी और इंस्टीट्यूट में शिफ्ट करने की मांग भी की है.

खाली पड़े हैं वॉर्ड, लाइब्रेरी में नहीं हैं किताबें : चिकित्सक चौहान
डॉक्टर चौहान ने इंस्टीट्यूट की बदहाली का जिक्र करते हुए एक्स पर लिखा है कि यहां के वॉर्ड में क्लिनिकल एग्जामिनेशन के लिए रोगी ही नहीं हैं. पूरा वॉर्ड खाली पड़ा है और स्टूडेंट्स को न ही OPD में जाने की परमिशन है और OT में. इसके अतिरिक्त स्टूडेंट्स के रहने के लिए भी पर्याप्त प्रबंध नहीं है.

एक ही कमरे में एक-साथ पांच स्टूडेंट्स रह रहे हैं. लाइब्रेरी की हालत इतनी खराब है कि यहां केवल फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स के लिए ही किताबें हैं. इससे अच्छी और अधिक मददगार तो स्ट्रीट लाइब्रेरी होती है.

शिकायत करने पर बोला जाता है- यहां एडमिशन क्यों लिया
डॉक्टर चौहान ने बोला कि यदि एडमिनिस्ट्रेशन से कोई प्रश्न करो तो उनका सीधा उत्तर ये आता है कि आपको किसने बोला था यहां एडमिशन लेने. ये बिना बुनियादी सुविधाओं के धड़ल्ले से मेडिकल कॉलेज खोलने का नतीजा है. उन्होंने एक वीडियो क्लिप भी शेयर की है.

बिना बिल्डिंग के कैसे प्रारम्भ हो गई अंडर ग्रेजुएशन की पढ़ाई
इस पोस्ट पर कई मेडिकल स्टूडेंट्स और डॉक्टर्स रिएक्ट कर रहे हैं. मद्रास मेडिकल कॉलेज के जूनियर रेजिडेंट चिकित्सक वेंकट सुब्रमण्यम वीरण ने भी इस पोस्ट पर रिएक्ट किया है.

उन्होंने लिखा है कि अब तक इस इंस्टीट्यूट की बिल्डिंग का कंस्ट्रक्शन तक प्रारम्भ नहीं हुआ है. ये नहीं समझ आता कि बिना बिल्डिंग के यहां अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट्स की पढ़ाई कैसे प्रारम्भ हो गई.

AIIMS दिल्ली के टैग से मेरी प्रोफाइल बेहतर हुई : प्लास्टिक सर्जन चिकित्सक संजोग
दिल्ली के MAMC और AIIMS दिल्ली से पढ़ाई कर चुके कंसल्टेंट प्लास्टिक सर्जन चिकित्सक संजोग ने इस पोस्ट पर रिएक्ट किया है. उन्होंने लिखा है- मैंने अपनी रेजीडेंसी AIIMS दिल्ली से की है. मुझे इस बात का अंदाजा है कि मेरे साथ AIIMS का टैग जुड़ने से मुझे साक्षात्कार में और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी पहचान बनाने में काफी लाभ मिला.

इंस्टीट्यूट नहीं तय करता की आप कैसे चिकित्सक हैं : चिकित्सक संजोग
डॉक्टर संजोग ने आगे लिखा – मैंने AIIMS दिल्ली ज्वाइन करने के बाद एक मीडिया पोर्टल के साथ साक्षात्कार भी किया. मेडिकल कॉलेज जानने के बाद मुझे इस बात का एहसास हुआ कि यहां कुछ बहुत खास नहीं है. ये भी बाकी मेडिकल कॉलेजों की तरह ही है.

अब मुझे ऐसा लगता है कि आप कैसे चिकित्सक हैं ये इस बात पर निर्भर नहीं करता कि आपने किस इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की है बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितने स्मार्ट हैं और कितना सीख सकते हैं.

देश के हर नए मेडिकल कॉलेज का यही हाल है : सोशल मीडिया यूजर
सामान्य सिंह नाम के एक यूजर ने लिखा- ये केवल AIIMS मदुरई की कहानी नहीं है बल्कि राष्ट्र के हर नए मेडिकल कॉलेज का यही हाल है. बहुत नामी कॉलेजों में भी स्टूडेंट्स की आवश्यकता को पूरा करने के लिए फैकल्टी नहीं है. लगभग हर नए मेडिकल कॉलेज में इंफ्रास्ट्रक्चर और इक्विपमेंट की कमी है. जब क्वालिटी से अधिक कॉलेजों की संख्या पर ध्यान दिया जाता है, तब कॉलेजों का यही हाल होता है.

शुरुआत में कोई भी कॉलेज इस सिचुएशन में हो सकता है : मेडिकल स्टूडेंट
एक मेडिकल स्टूडेंट शलभ तंवर ने इस पोस्ट पर रिएक्ट करते हुए बोला कि मैं इससे सहमत नहीं हूं. आरंभ में ऐसा किसी भी कॉलेज के साथ हो सकता है. मैंने AIIMS बिलासपुर और AIIMS भटिंडा को आरंभ के दिनों से देखा है.

शुरूआत में ये कॉलेज स्लो होते थे लेकिन अब यहां शाम को 6 बजे तक OPD में बहुत भीड़ होती है. सभी स्पेशलिटी में फुल स्टाफ और डॉक्टर्स के साथ काम होता है.

अब यहां का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतरीन है और वर्ल्ड क्लास मेडिकल इक्विपमेंट भी इन कॉलेजों में पहुंच चुका है. आपकी इस पोस्ट का कोई मतलब नहीं है और 3-4 वर्षों के बाद आपको अपने इस ट्वीट का पछतावा भी होगा.

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button