लाइफ स्टाइल

दुनिया के कई देशों में भगवान शिव के भव्य मंदिर मौजूद हैं, इनके इतिहास भी हैं रोचक

भोलेनाथ के प्रति भक्ति की भावना सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है, दुनिया के कई देशों में भगवान शिव के भव्य मंदिर मौजूद हैं। इन मंदिरों का इतिहास भी काफी रोचक है।

नेपाल:

  • पशुपतिनाथ मंदिर: काठमांडू में स्थित यह मंदिर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है। माना जाता है कि यह मंदिर 5वीं शताब्दी में बनाया गया था। यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है।
  • वैद्यनाथ मंदिर: धनुषा जिले में स्थित यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह मंदिर 8वीं शताब्दी में बनाया गया था।

श्रीलंका:

  • त्रिकोणामलय: त्रिकोणामलय में स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर 5वीं शताब्दी में बनाया गया था। यहां भगवान शिव का विशालकाय लिंग स्थापित है।
  • केनेशwaram: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह 5वीं शताब्दी में बनाया गया था। यहां भगवान शिव का एक प्राचीन मूर्ति स्थापित है।

इंडोनेशिया:

  • पुरा बेसाकी: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह 10वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर अपनी नक्काशीदार मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
  • पुरा लुहुर Uluwatu: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह 11वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर एक चट्टान पर स्थित है और यहां से समुद्र का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है।

मॉरीशस:

  • महेश्वर मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर अपनी रंगीन मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है।
  • त्रिवेणी मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह 19वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर स्थित है।

थाईलैंड:

  • Wat Pho: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह 18वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर अपनी विशालकाय लेटती हुई बुद्ध मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।
  • Wat Arun: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह 19वीं शताब्दी में बनाया गया था। यह मंदिर अपनी नक्काशीदार मीनारों के लिए प्रसिद्ध है।

इनके अलावा भी दुनिया के कई देशों में भगवान शिव के मंदिर मौजूद हैं। यह दर्शाता है कि भगवान शिव की भक्ति सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया में फैली हुई है। यह भी जानना दिलचस्प है कि इन मंदिरों का निर्माण कैसे हुआ। इनमें से कई मंदिरों का निर्माण भारतीय प्रवासियों द्वारा किया गया था। इन मंदिरों के निर्माण में स्थानीय लोगों ने भी अपना योगदान दिया। इन मंदिरों की वास्तुकला में भारतीय और स्थानीय दोनों संस्कृतियों का मिश्रण देखने को मिलता है। इन मंदिरों में भगवान शिव की पूजा भारतीय रीति-रिवाजों के अनुसार की जाती है। इन मंदिरों में साल भर विभिन्न त्योहार मनाए जाते हैं। इन त्योहारों में भारतीय और स्थानीय दोनों समुदाय के लोग भाग लेते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button