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क्या धीरे-धीरे जमीन में समा रही है वन देवी…

छत्तीसगढ़ जिला वैसे तो चारों ओर से प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ इस राज्य से अनोखी कहानियां भी सामने आती हैं ऐसी ही अनोखी कहानी गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले से भी आती है दरअसल, जिले के मरवाही ब्लॉक के धनपुर गांव में एक अनोखा जगह है क्षेत्रीय मान्यता है कि यहां तंत्र साधना की जाती है यहां की गई तंत्र साधना कभी विफल नहीं जाती तंत्र के अतिरिक्त ये टूरिस्ट प्लेस भी है घने जंगलों में होने की वजह से लोग यहां प्राकृतिक सुंदरता भी देखने आते हैं यहां 25 फीट की वन देवी की मूर्ति है, जो धीरे-धीरे जमीन में समा रही है

मरवाही ब्लॉक के धनपुर गांव से लगे घने जंगल के बीच में 25 फीट की मूर्ति है क्षेत्रीय लोग इसे वन देवी मानकर पूजा करते हैं वे इसे बेनी बाई कहकर बुलाते हैं यह मूर्ति बलुआ पत्थरों की बनी हुई दिखाई देती है हालांकि, कई लोगों का बोलना है कि बारिश के पानी से क्षरण होकर पत्थर ने देवी का रूप और आकार ले लिया है गौर से देखने पर यह कायोत्सर्ग मुद्रा में तराशी हुई जैन तीर्थकर की प्रतिमा दिखती है यह मुद्रा शरीर से परे जाकर आत्मा की महत्ता स्थापित करती है यह मूर्ति छत्तीसगढ़ में अपनी तरह की इकलौती कलाकृति है

जैन धर्मावलंबियों के लिए भी धार्मिक महत्व
इसका जैन धर्मावलंबियों के लिए भी धार्मिक महत्व है कई लोग इसके रूप और चित्रलेख को देखकर इसे अजात दुश्मन की मूर्ती बताते हैं बताया जा रहा है कि 25 फीट की यह मूर्ति धीरे-धीरे जमीन में दब रही एक समय पर यह गायब हो जाएगी हालांकि, इसके क्षरण पर अब तक पुरातत्व विभाग की नजर नहीं पड़ी है लेकिन जीपीएम प्रशासन इसके संरक्षण के लिए कदम उठा रहा है वह इसकी घेरेबंदी कर रहा है इसके पास ही प्रशासन म्यूजियम भी बना सकता है इन सबको देखते हुए यहां टूरिस्ट की संख्या भी बढ़ रही है

अनोखा जिला है जीपीएम
बता दें, गौरेला पेण्ड्रा मरवाही (GPM) जिला तीन ओर से मैकल पर्वत से घिरा हुआ है यह मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले से लगा हुआ है जिले से 8 नदियों का उद्गम होता है यहां से दो प्रमुख नदियां सोन और अरपा मुख्य बेसिन के रूप में भिन्न-भिन्न दिशाओं में बहती हैं सोन नदी गंगा में तो अरपा नदी महानदी में जाकर मिलती है जिला अपने विशाल जैव विविधता के लिए भी अपनी अलग पहचान बनाता है मुख्यतः सफेद भालू के लिए जाना जाने वाला मरवाही स्वयं में अनछुए पर्यटन की अपार संभावनाएं समेटे हुए है

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