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14 मार्च से शुरू हो रहा खरमास, शुभ मुहूर्त पर लगेगा विराम

सूर्य देव के धनु और मीन राशि में प्रवेश करने के दौरान खरमास लगता है धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं सूर्य के संपर्क में आने के चलते देवगुरु बृहस्पति का शुभ असर कम या क्षीण हो जाता है अतः सूर्य देव के धनु और मीन राशि में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूरे एक साल में दो बार ऐसा मौका आता है जब खरमास लगता है एक खरमास मध्य मार्च से मध्य अप्रैल के बीच और दूसरा खरमास मध्य दिसंबर से मध्य जनवरी तक होता है पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा अनीष व्यास ने कहा कि मार्च महीने में 14 मार्च को सूर्य दोपहर 12:34 मिनट पर कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य देव के कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास प्रारम्भ होगा इस दौरान सूर्य देव 17 मार्च को उत्तराभाद्रपद और 31 मार्च को रेवती नक्षत्र में प्रवेश करेंगे इसके बाद 13 अप्रैल को सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे सूर्य देव के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास खत्म हो जाए

ज्योतिषाचार्य डा अनीष व्यास ने कहा कि खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि मांगलिक कर्मों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं इन दिनों में मंत्र जप, दान, नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करने की परंपरा है इस परंपरा की वजह से खरमास के दिनों में सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी अधिक लोग पहुंचते हैं साथ ही पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में भक्तों की संख्या बढ़ जाती है खरमास पूजा-पाठ के नजरिए से बहुत शुभ है, लेकिन इस महीने में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नए काम की आरंभ जैसे कामों के लिए मुहूर्त नहीं रहते हैं इस महीने में शास्त्रों का पाठ करने की परंपरा है धर्म फायदा कमाने के लिए खरमास का हर एक दिन बहुत शुभ है इस महीने में किए गए पूजन, मंत्र जप और दान-पुण्य का अक्षय पुण्य मिलता है अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका शुभ असर पूरे जीवन बने रहता है

साल में दो बार आता है खरमास

ज्योतिषाचार्य डा अनीष व्यास ने कहा कि एक वर्ष में सूर्य एक-एक बार गुरु ग्रह की धनु और मीन राशि में जाता है इस तरह वर्ष में दो बार खरमास रहता है सूर्य वर्ष में दो बार बृहस्पति की राशियों में एक-एक महीने के लिए रहता है इनमें 15 दिसंबर से 15 जनवरी तक धनु और 15 मार्च से 15 अप्रैल तक मीन राशि में इसलिए इन 2 महीनों में जब सूर्य और बृहस्पति का संयोग बनता है तो किसी भी तरह के मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं

सूर्य देव करते हैं अपने गुरु की सेवा

भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने कहा कि गुरु ग्रह यानी देवगुरु बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी है सूर्य ग्रह सभी 12 राशियों में भ्रमण करता है और एक राशि में करीब एक माह ठहरता है इस तरह सूर्य एक वर्ष में सभी 12 राशियों का एक चक्कर पूरा कर लेता है इस दौरान सूर्य जब धनु और मीन राशि में आता है, तब खरमास प्रारम्भ होता है इसके बाद सूर्य जब इन राशियों से निकलकर आगे बढ़ जाता है तो खरमास समाप्त हो जाता है ज्योतिष की मान्यता है कि खरमास में सूर्य देव अपने गुरु बृहस्पति के घर में रहते हैं और गुरु की सेवा करते हैं

खरमास में क्यों नहीं रहते हैं शुभ मुहूर्त

कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने कहा कि सूर्य एक मात्र प्रत्यक्ष देवता और पंचदेवों में से एक है किसी भी शुभ काम की आरंभ में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्यदेव की पूजा की जाती है जब सूर्य अपने गुरु की सेवा में रहते हैं तो इस ग्रह की शक्ति कम हो जाती है साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कम होता है इन दोनों ग्रहों की कमजोर स्थिति की वजह से मांगलिक कर्म न करने की राय दी जाती है शादी के समय सूर्य और गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं तो शादी सफल होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती हैं

ज्योतिष ग्रंथ में है खरमास 

भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने कहा कि धनु और मीन राशि का स्वामी बृहस्पति होता है इनमें राशियों में जब सूर्य आता है तो खरमास गुनाह लगता है ज्योतिष तत्व विवेक नाम के ग्रंथ में बोला गया है कि सूर्य की राशि में गुरु हो और गुरु की राशि में सूर्य रहता हो तो उस काल को गुर्वादित्य बोला जाता है जो कि सभी शुभ कामों के लिए वर्जित माना गया है

खरमास में करें भागवत कथा का पाठ 

भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने कहा कि खरमास में श्रीराम कथा, भागवत कथा, शिव पुराण का पाठ करें रोज अपने समय के हिसाब से ग्रंथ पाठ करें प्रयास करें कि इस महीने में कम से कम एक ग्रंथ का पाठ पूरा हो जाए ऐसे करने से धर्म फायदा के साथ ही सुखी जीवन जीने से सूत्र भी मिलते हैं ग्रंथों में बताए गए सूत्रों को जीवन में उतारेंगे तो सभी दिक्कतें दूर हो सकती हैं खरमास में अपने इष्टदेव की विशेष पूजा करनी चाहिए मंत्र जप करना चाहिए इनके साथ ही इस महीने में पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में दर्शन और पूजन करना चाहिए तीर्थ यात्रा करनी चाहिए किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए जो लोग नदी स्नान नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें अपने घर पर गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करना चाहिए पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं

खरमास में दान का महत्व

कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने कहा कि खरमास में दान करने से तीर्थ स्नान जितना पुण्य फल मिलता है इस महीने में निष्काम रेट से ईश्वर के निकट आने के लिए जो व्रत किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी गुनाह समाप्त हो जाते हैं इस दौरान जरूरतमंद लोगों, साधुजनों और दुखियों की सेवा करने का महत्व है खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप का भी विधान है पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल का दान जरूर करें किसी गोशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए अपने सामर्थ्य के मुताबिक दान कर सकते हैं घर के आसपास किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें पूजन सामग्री जैसे कुमकुम, घी, तेल, अबीर, गुलाल, हार-फूल, दीपक, धूपबत्ती आदि

करें सूर्य पूजा

भविष्यवक्ता एवं कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने कहा कि खरमास में सूर्य ग्रह की पूजा रोज करनी चाहिए सुबह शीघ्र उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं जल में कुमकुम, फूल और चावल भी डाल लेना चाहिए सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें

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