लाइफ स्टाइल

225 साल पुराने राजस्थान के इस मशहूर महल के बारे में जानें, कैसे हुआ ये चमत्कार

राजस्थान न्यूज डेस्क !!!  हवामहल एक पांच मंजिला स्मारक है, जिसके मुख्य आधार से ऊंचाई 87 फीट (26.15 मीटर) है. महल की सबसे ऊपरी तीन मंजिलों की चौड़ाई एक कमरे जितनी है जबकि निचली दो मंजिलों के सामने एक खुला आंगन भी है, जो महल के पिछले हिस्से में बना है. महल का अगला भाग, जो हवा महल के सामने मुख्य सड़क से दिखाई देता है. इसकी प्रत्येक छोटी खिड़की पर बलुआ पत्थर की बहुत ही सुन्दर और सुंदर नक्काशीदार जालियां, कंगारू और गुंबद बने हुए हैं. इस अनूठी संरचना में स्वयं कई अर्ध-अष्टकोणीय उद्घाटन हैं, जो इसे पूरे विश्व में अद्वितीय बनाते हैं. इमारत के पीछे के अंदरूनी हिस्से में खंभों और गलियारों के न्यूनतम अलंकरण के साथ भिन्न-भिन्न कमरे बनाए गए हैं और यह इमारत की सबसे ऊपरी मंजिल के समान हैं.

इस अनूठी इमारत के वास्तुकार लाल चंद उस्ता थे, जिन्होंने जयपुर शहर की वास्तुकला और वास्तुकला योजना तैयार करने में भी सहायता की थी. शहर के अन्य स्मारकों की सजावट को ध्यान में रखते हुए, इस लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर के महल का रंग जयपुर को दी गई ‘गुलाबी शहर’ की उपाधि का एक आदर्श प्रमाण है. हवा महल के सामने का भाग 953 अद्वितीय नक्काशीदार छिद्रों (जिनमें से कुछ लकड़ी के भी बने हैं) से सजाया गया है और यह हवा महल के पीछे से एकदम उल्टा है, क्योंकि हवा महल का पिछला भाग एकदम सादा है. इसकी सांस्कृतिक और कलात्मक विरासत हिंदू राजपूत मूर्तिकला है.

हवा महल में सिटी पैलेस के किनारे स्थित रॉयल गेट से प्रवेश किया जा सकता है. यह एक बड़े प्रांगण में खुलता है, जिसके तीन तरफ दो मंजिला इमारतें हैं और पूर्व में भव्य हवा महल है. इस प्रांगण में एक पुरातात्विक संग्रहालय भी है.

हवा महल अपनी उत्कृष्ट आंतरिक सजावट के कारण महाराजा जय सिंह का पसंदीदा आराम स्थल था. इसके सभी कमरों में सामने के भाग में स्थित 953 झरोखों से सदैव ठंडी हवा बहती रहती थी, जिसका असर गर्मियों में ठंडा रहता था और सभी कमरों के सामने वाले हॉल में पानी के फव्वारे लगे रहते थे.

हवा महल की ऊपरी दो मंजिलों पर जाने के लिए सिर्फ़ सीढ़ियाँ हैं. बोला जाता है कि लंबी कमरबंद घाघरा पहनने वाली रानियों को सीढ़ियां चढ़ने में होने वाली परेशानी को ध्यान में रखते हुए इसकी ऊपरी दो मंजिलों में प्रवेश के लिए सीढ़ियों की स्थान सीढ़ियों का प्रावधान किया गया था.

मरम्मत एवं जीर्णोद्धार
हवा महल का रखरखाव राजस्थान गवर्नमेंट के पुरातत्व विभाग द्वारा किया जाता है. साल 2005 में, लगभग 50 सालों के लंबे अंतराल के बाद, महल में 45679 लाख रुपये की अनुमानित लागत पर बड़े पैमाने पर मरम्मत और नवीनीकरण किया गया. जयपुर के पुरातत्व स्मारकों के रख-रखाव के लिए अब कुछ कॉरपोरेट घराने भी आगे आ रहे हैं, जिसका उदाहरण “यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया” है जिसने हवा महल के रख-रखाव का जिम्मा उठाया है.

पर्यटन संबंधी जानकारी
हवा महल जयपुर शहर के दक्षिणी भाग में बड़ी चौपड़ पर स्थित है. जयपुर शहर हिंदुस्तान के सभी प्रमुख शहरों से सड़क, रेल और हवाई मार्ग से सीधे जुड़ा हुआ है. जयपुर का रेलवे स्टेशन भारतीय रेलवे के ब्रॉड गेज लाइन नेटवर्क का केंद्रीय स्टेशन है.

हवा महल में सीधा सामने प्रवेश द्वार नहीं है. हवा महल में प्रवेश करने के लिए महल के दायीं और बायीं ओर से प्रवेश द्वार बने हुए हैं, जहां से आप महल के पीछे से महल में प्रवेश कर सकते हैं.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button