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बिहार: मच्छरों से नहीं मिल रही निजात डेंगू की चपेट में आ रहे लोग

बिहार में तेजी से डेंगू के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रहा है ऐसे में लोगों को इस रोग से सावधानी बरतने की जरुरत है डॉक्टर बताते है कि डेंगू का लार्वा गर्मी में पनपने थे लेकिन, अब अभी मुकदमा सामने आ रहे है डेंगू को देखते हुए पटना के हॉस्पिटल में 15-15 बेड सुरक्षित किया गया है इस बार उमस भरी गर्मी के बीच ही डेंगू के रोगी मिलने लगे हैं अब तक पटना जिले में 16 रोगियों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है इसको लेकर स्वास्थ्य विभाग भी अलर्ट हो गया है

तीन माह पहले एंटी लार्वा अभियान की शुरूआत

सरकारी अस्पतालों में अलग से डेंगू वार्ड बनाकर बेड रिजर्व करने का निर्देश जारी कर दिया गया है वहीं, जानकारों के मुताबिक इस बार जेठ के महीने में भी डेंगू का लार्वा पटना जिले में मिला था मलेरिया विभाग की नेशनल टीम जब पटना आयी थी, तो कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, पटना सिटी आदि इलाकों में डेंगू का लार्वा पाया गया था, जिसे टीम ने निर्देश देकर नष्ट कराया यही वजह है कि लार्वा पहले मिलने की वजह से इस बार जुलाई महीने से ही डेंगू के रोगी मिलने लगे हैं यही कारण है कि स्वास्थ्य विभाग ने भी सीजन से तीन माह पहले ही एंटी लार्वा अभियान प्रारम्भ किया है पीएमसीएच और एनएमसीएच में 15-15 बेड डेंगू रोगियों के लिए रिजर्व है

डेंगू वार्ड के लिए एक बड़े कमरे में 15 बेड की हुई व्यवस्था

स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के बाद पीएमसीएच, आइजीआइएमएस और एनएमसीएच में अलग से 15-15 बेड का डेंगू वार्ड बनाया गया है पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ आइएस ठाकुर ने बोला कि टाटा वार्ड के ऊपरी तल पर डेंगू वार्ड की साफ-सफाई के साथ-साथ ड्यूटी रोस्टर तय कर दिया है डेंगू वार्ड के लिए एक बड़े कमरे में 15 बेड की प्रबंध की गयी है आवश्यकता पड़ने पर यहां 50 बेड का भी डेंगू वार्ड बना दिया जायेगा हालांकि, अभी यहां एक भी रोगी डेंगू का भर्ती नहीं है अधीक्षक ने बोला कि सभी बेड पर मच्छरदानी लगाने के साथ-साथ जरूरी दवाएं और डॉक्टरों की ड्यूटी लगा दी गयी है

जुलाई के बाद मच्छरों की संख्या में बढ़ोतरी

सिविल सर्जन डॉ श्रवण कुमार ने कहा कि डेंगू मच्छर की ब्रीडिंग मई से लेकर जुलाई माह तक अधिक होती है इसके बाद इसके पनपने और उसकी सक्रियता अधिक बढ़ जाती है अगस्त से दिसंबर माह तक यह लोगों को खूब सताता है इसी को ध्यान रखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पहले ही जिले भर में जन जागरूकता अभियान छेड़ दिया है डेंगू लार्वा की जांच के लिए घरों की दहलीज पर जाकर दस्तक भी देनी प्रारम्भ कर दी गयी है इसके लिए टीम लगा दी गयी है, खासकर मेडिकल ऑफिसर की मौजूदगी में फील्ड वर्कर इस काम में जुट गये हैं

मालूम हो कि मच्छर उन्मूलन में गवर्नमेंट सालाना सवा करोड़ रुपए खर्च कर रही है इसके बावजूद मच्छरों का प्रकोप कम नहीं हो रहा है हर वर्ष लोग डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के शिकार होते हैं स्वास्थ्य विभाग में इसके लिये एक अलग विंग बनाया गया है, जिसे पहले मलेरिया विभाग बोला जाता था, अब वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल डिपार्टमेंट के नाम से जाना जाता है इस विभाग के अधिकारी और कर्मियों का मुख्य काम मच्छरों के प्रकोप को कम करना है मजफ्फरपुर जिले में एक अधिकारी के अतिरिक्त पांच कर्मी की नियुक्ति हैं इनके वेतन मद में सालाना करीब 60 लाख और करीब 70 लाख विभिन्न योजनाओं के मद में खर्च होता है

मच्छरों के प्रकोप में हुआ इजाफा

केंद्र गवर्नमेंट ने 1958 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम प्रारम्भ किया था इसके अनुसार मुजफ्फरपुर में मलेरिया से मुक्ति के लिये अभियान चलाया गया था नाले में डीडीटी छिड़काव की आरंभ हुई मलेरिया उन्मूलन के लिये मलेरिया इंस्पेक्टर का पद सृजित हुआ हालांकि, 1967 में कीटनाशी दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने लेन के कारण मच्छरों का प्रकाेप फिर बढ़ गया केंद्र गवर्नमेंट ने 1997 में मलेरिया उन्मूलन को अपने लक्ष्य से हटा कर इसके नियंत्रण पर काम करना प्रारम्भ किया

जिले में मच्छर भगाने वाले अगरबत्ती और लिक्विड पर रोज करीब आठ लाख का खर्च हो रहा है लोग मच्छरों से निजात के लिये अगरबत्ती और लिक्विड जलाते हैं बाजार में मच्छर भगाने वाली कई तरह की अगरबत्ती और लिक्विड मौजूद है दुकानदारों की मानें तो इसके नियमित ग्राहक हैं वे भले ही दूसरी चीजें नहीं खरीदें, लेकिन मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती आवश्यकता खरीदते हैं सरैयागंज के जेनरल स्टोर संचालक विमल कुमार ने बोला कि पहले टिकिया की डिमांड थी अब अगरबत्ती की डिमांड अधिक है हालांकि, कुछ लोग नियमित तौर पर लिक्विड की खरीदारी करते हैं

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