लाइफ स्टाइल

विष्णु जी के साथ महालक्ष्मी का करें अभिषेक

शुक्रवार, 5 अप्रैल को चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी है. इसे पापमोचनी एकादशी कहते हैं. शुक्रवार को एकादशी होने से विष्णु जी के साथ ही महालक्ष्मी की विशेष पूजा करने का शुभ योग बन रहा है.

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं मनीष शर्मा के मुताबिक, 5 अप्रैल को व्रत-उपवास करने के साथ ही दान-पुण्य भी जरूर करें. जानिए इस तिथि पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

  • चैत्र मास की पहली एकादशी पर सुबह शीघ्र उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं. ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करते हुए अर्घ्य अर्पित करें. सूर्य देव को लाल-पीले फूल चढ़ाएं.
  • सूर्य को जल चढ़ाने के बाद घर के मंदिर में ईश्वर गणेश, शिव जी और देवी पार्वती की पूजा करें. जल, दूध और पंचामृत चढ़ाएं. हार-फूल और वस्त्रों से श्रृंगार करें. मिठाई का भोग लगाएं. धूप-दीप जलाएं और आरती करें.
  • गणेश पूजन के बाद विष्णु जी और देवी लक्ष्मी की पूजा प्रारम्भ करें. दक्षिणावर्ती शंख से ईश्वर का अभिषेक करें. हार-फूल और वस्त्र, कुमकुम, गुलाल, अबीर आदि पूजन सामग्री चढ़ाएं. पूजा में एकादशी व्रत करने का संकल्प लें. मिठाई का भोग लगाएं. धूप-दीप जलाकर आरती करें.
  • जो लोग एकादशी व्रत कर रहे हैं, उन्हें दिनभर अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए. जिन लोगों के लिए भूखे रहना संभव न नहीं है, उन्हें दूध और फलों का सेवन करना चाहिए. फलों का रस पी सकते हैं. सुबह-शाम पूजा करें और विष्णु जी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें. ईश्वर विष्णु और उनके अवतारों से जुड़ी कथाएं पढ़ें, सुनें.
  • जो लोग एकादशी व्रत करते हैं, उन्हें एकादशी पर पूरे दिन व्रत करना चाहिए. अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह शीघ्र उठें और स्नान के बाद फिर से पूजा करें. पूजा के बाद किसी जरूरतमंद को खाना खिलाएं और फिर स्वयं खाएं. दान-पुण्य करें. इस तरह एकादशी का व्रत पूरा होता है.
  • शुक्रवार को शुक्र ग्रह के लिए भी विशेष पूजा कर सकते हैं. शुक्र ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है. इसलिए शुक्रवार को शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं. बिल्व पत्र, धतूरा, हार-फूल चढ़ाएं. ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें.

 

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