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Pregnancy Tips: प्रेग्नेंसी के किस सप्ताह में बच्चे की हार्टबीट देती है सुनाई…

हर स्त्री और आदमी के लिए पेरेंट्स बनना उनके जीवन का सबसे खास समय होता है हांलाकि प्रेग्नेंसी का समय न केवल खुशियां बल्कि कुछ परेशानियां लेकर भी आता है हर स्त्री को प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिनों में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है वहीं स्त्री के शरीर में कई तरह के परिवर्तन भी होते हैं तो वहीं दूसरी ओर गर्भ में पलने वाले बच्चे की सलामती के लिए कई तरह की चिंताएं उन्हें परेशान करती हैं प्रेग्नेंसी के दौरान स्त्रियों को एक बात की चिंता सबसे अधिक होती है और वह है गर्भ में पलने वाले बच्चे की धड़कन

एक मां के लिए अपने बच्चे की धड़कन सुनना सबसे शाँति पल होता है लेकिन कई बार यह बेचैनी और तनाव की वजह भी बन जाती है क्योंकि प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिनों में गर्भ में पलने वाले बच्चे की धड़कन को ट्रैक करना काफी कठिन होता है वहीं बच्चे का दिल बनने और हार्टबीट आने में थोड़ा समय लगता है लेकिन जब इस दौरान बच्चे की धड़कन ट्रैक नहीं हो पाती है, तो वह टेंशन में आ जाती हैं ऐसे में स्त्री के मन में बच्चे के विकास और स्वास्थ्य की चिंताए घेर लेती हैं यह तनाव और बेचैनी उनकी प्रेग्नेंसी के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है

हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो गर्भ में पलने वाले बच्चे के दिल के विकास और धड़कन आने के पीछे कई कारक उत्तरदायी होते हैं इसलिए कई बार बच्चे की हार्टबीट नहीं आ पाती है ऐसे में यह जानना अर्थ रखता है कि आपका गर्भधारण कब हुआ है, कौन से हफ्ते में बच्चे की हार्टबीट आनी प्रारम्भ होगी यह चिकित्सक से बेहतर और कौन जान सकता है लेकिन कई बार उत्सुकता के कारण मां बन रही महिलाएं हार्टबीट सुनने का निवेदन करती हैं और हार्टबीट ट्रैक न हो पाने के कारण तनाव में आ जाती हैं ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि किस हफ्ते में बच्चे की हार्टबीट सुनाई देती है और इसे किस तरह से ट्रैक किया जा सकता है

कब सुनाई देती है बच्चे की हार्टबीट

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार आमतौर पर गर्भ में पलने वाले भ्रूण के दिल का विकास होने के बाद प्रेंग्नेंसी के छठे और आठवें हफ्ते के दौरान बच्चे के दिल की धड़कन को ट्रैक किया जा सकता है वहीं पांचवे सप्ताम के आसपास बच्चे का दिल बनना प्रारम्भ हो जाता है वहीं 5वें हफ्ते के अंतिम और 6वें हफ्ते के अंदर बच्चे का दिल धड़कना शुरूकर देता है इसको एम्ब्रियोनिक हार्टबीट बोला जाता है यह भ्रूण के स्वतंत्र संचार प्रणाली की आरंभ का प्रतीक माना जाता है

गर्भकालीन आयु

आपको बता दें कि यह भ्रूण का एक अहम कारक होता है ऐसे में प्रेग्नेंसी के 6वें या 8वें हफ्ते में बच्चे के दिल की धड़कन का पता लगाया जा सकता है हांलाकि आपको कुछ डिफरेंसेज देखने को मिल सकते हैं ऐसे में आपके चिकित्सक इन भिन्नताओं की समीक्षा कर इस पर विचार करते हैं

बच्चे की पोजीशन

गर्भ में पलने वाले बच्चे की पोजीशन दिल की धड़कन की ध्वनि को स्पष्टता देती है कई बार पोजीशन की वजह से भी चिकित्सक धड़कन की स्पष्टता में कमी महसूस कर सकते हैं

मातृ कारक

मां बनने वाली स्त्री की शारीरिक संरचना काफी अर्थ रखती है क्योंकि पेट का एक्स्ट्रा फैट बच्चे के दिल की धड़कन की स्पष्टता को प्रभाविक कर सकता है हांलाकि कुछ मामलों में चिकित्सक परफेक्ट ट्रैकिंग के लिए अन्य ऑप्शन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं

ऐसे ट्रैक करें दिल की धड़कन

एक्सपर्ट्स के अनुसार बच्चे के दिल की धड़कन को ट्रैक करने के कई ढंग होते हैं जैसे डॉपलर उपकरण, घर पर इस्तेमाल किए जाने वाला भ्रूण डॉपलर उपकरण अल्ट्रासाउंड इमेजिंग और स्टेथोस्कोप के माध्यम से भी हार्टबीट ट्रैक किया जा सकता है ऐसे में पहली बार आप तिमाही में बच्चे की धड़कन को ट्रैक करने के लिए कह सकते हैं साथ ही बच्चे की हार्टबीट को ट्रैक करने के ढंग के बारे में भी जान सकते हैं घर पर हार्टबीट ट्रैक करने के लिए चिकित्सक आपको नीचे बताए जा रहे कुछ सुझाव दे सकते हैं

डॉपलर डिवाइस

डॉपलर अल्ट्रासाउंड उपकरण का इस्तेमाल कर चिकित्सक बच्चे की धड़कन की ध्वनि का पता लगाने के साथ उसे बढ़ा भी सकते हैं डिलीवरी से पहले जांच के दौरान इन उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है हांलाकि परफेक्ट रीडिंग जानने के लिए आपको चिकित्सक पर विश्वास करना महत्वपूर्ण है

अल्ट्रासाउंड इमेजिंग

आमतौर पर इस डिवाइस का इस्तेमाल चिकित्सक द्वारा हार्टबीट को ट्रैक किए जाने का सबसे भरोसेमंद तरीका है इससे विकासशील भ्रूण की कल्पना करने के साथ हार्टबीट को सुनने में सहायता मिलती है

स्टेथोस्कोप

कुछ मामलों में बच्चे की दिल की धड़कन को सुनने के लिए चिकित्सक स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल कर सकते हैं अल्ट्रासाउंड और डॉपलर उपकरणों की तुलना में यह तरीका काफी कम इस्तेमाल में लाया जाता है

घरेलू फेटल डॉपलर

बता दें कि कुछ पेरेंट्स बच्चे की धड़कन को सुनने के लिए घर पर हैंडहेल्ड भ्रूण डॉपलर उपकरणों का इस्तेमाल करने हैं हांलाकि अनावश्यक तनाव से बचने के लिए इन उपकरणों का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल किया जाना महत्वपूर्ण है इस तरह से जांच करने से पहले चिकित्सक से राय जरूर लेनी चाहिए

 

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