Shiv Chalisa: शिव चालीसा पढ़ने से होतें है ये फायदे
Shiv Chalisa: हिंदू धर्म में भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। सभी देवी देवताओं में त्रिदेव को सबसे ऊपर माना जाता है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश आते है। इसमें महादेव को विनाशक बोला जाता है, जिन का कार्य धरती पर बड़े बाप का विनाश करना है। देवों के देव ‘महादेव’ यानी ईश्वर शिव की साधना या पूजा हमें हर दुख और भय से मुक्ति दिलाती है।
शिव चालीसा पढ़ने के फायदे
हिंदू धर्म में महादेव की साधना करने से सुख एवं समृद्धि पाई जा सकती है। यदि आप ठीक ढंग से शिव चालीसा का पाठक करते हैं तो आपको ईश्वर शिव की असीम कृपा और चमत्कारी फायदा प्राप्त होगा। शिव पुराण में लिखे गए 24000 श्लोक के बीच में 40 पंक्तियों की शिव चालीसा उपस्थित है। शिव चालीसा का ठीक ढंग से उच्चारण करते हुए प्रतिदिन पाठ करने से भक्तों के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और ईश्वर शिव की असीम कृपा बनी होती है।
शिव चालीसा का महत्व
शिव पुराण में ईश्वर शिव कि अज्ञात उत्पत्ति और महादेव के स्वभाव और उनकी पूजा-अर्चना के उपायों के बारे में विस्तार पूर्वक कार्य की व्याख्या दी गई है। शिव पुराण में 40 पंक्तियों के काव्य खंड के रूप में शिव चालीसा भी प्रस्तुत किया गया है। शिव चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से ईश्वर शिव अत्यंत प्रसन्न होते है और अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। शिव चालीसा का पाठ करना ईश्वर शिव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत जरूरी माना जाता है। मान्यता है कि शिव चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से जातक के सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
शिव चालीसा के पाठ करने का नियम
शिव चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान ध्यान करना चाहिए। इसके बाद साफ सुथरा कपड़े पहनकर पूर्व दिशा में अपना मुंह करके बैठना चाहिए। शिव चालीसा का पाठ प्रारम्भ करने के पहले भी का दीपक जलाएं। उसके बाद तांबे के लोटे में साफ जल में गंगा जल मिलाकर रखें। शिव चालीसा का पाठ करने से पहले ईश्वर शिव की पूजा करें, जिसने प्रसाद के रूप में आप घी, दही, चावल, पुष्प चढ़ाएं। शिव चालीसा के पाठ करने से पहले ईश्वर गणेश के इस श्लोक का जप करें। उसके बाद शिव चालीसा का पाठ प्रारम्भ करें।
शिव चालीसा (Shiv Chalisa)
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला।।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के।।
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये।।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे।।
मैना मातु की ह्वै दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी।।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे।।
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ।।
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।
किया विद्रोह तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।।
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ।।
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा।।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई।।
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।।
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं।।
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।
जरे सुरासुर भये विहाला।।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई।।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा।।
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई।।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।।
जय जय जय अनंत अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी।।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो।।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो।।
मातु पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहिं कोई।।
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु अब संकट भारी।।
धन निर्धन को देत सदाहीं।
जो कोई जांचे वो फल पाहीं।।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन।।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
नारद शारद शीश नवावैं।।
नमो नमो जय नमो शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।।
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पार होत है शम्भु सहाई।।
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी।।
पुत्र हीन कर ख़्वाहिश कोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे।।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा।।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।।
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्तवास शिवपुर में पावे।।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी।।
।।दोहा।।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।।
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।।
शिव चालीसा का महत्व
- शिव चालीसा का पाठ करने से ईश्वर शिव प्रसन्न होते हैं और आपके परिवार पर उनके असीम कृपा बनी रहती है।
- शिव चालीसा का प्रतिदिन वकायदा ढंग से पाठ करना चाहिए। ऐसा करने पर सभी प्रकार के दुख दर्द से छुटकारा मिलता है।
- शिव चालीसा का प्रतिदिन पाठ करने से ईश्वर शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
- शिव चालीसा का पाठ करने से घर में भूत प्रेत, दुख दलिंदर जैसी समस्याएं नहीं होती है।
- शिव चालीसा का महत्व बहुत अधिक है, इससे शारीरिक दुख दर्द भी दूर होते हैं और मन को शांति का अनुभव होता है।