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देवउठनी एकादशी के बाद शुरू हो जाते हैं ये मांगलिक कार्यक्रम

सनातन धर्म में तुलसी शादी का दिन मांगलिक कार्यों की आरंभ का दिन माना जाता है. देवश्यनी एकादशी के बाद के बाद के चार महीनों तक सभी मांगलिक कार्यों में रोक लग जाती है. वहीं देवउठनी एकादशी के दूसरे दिन तुलसी जी और ईश्वर विष्णु का शादी होता है. और इसी दिन से सभी मांगलिक कार्य शुरु हो जाते हैं.

तुलसी शादी के दिन कर सकते हैं विवाह

लोकल 18 के साथ हुई वार्ता के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश के रहने वाले पुजारी धर्मानंद शास्त्री बताते हैं कि तुलसी शादी का दिन बहुत बड़ा और शुभ दिन माना जाता है. माना जाता है कि देवउठनी एकादशी के बाद तुलसी माता और ईश्वर विष्णु का शादी होता है और इसी दिन को तुलसी शादी बोला जाता है. तुलसी शादी के दिन से सभी मांगलिक कार्यों की आरंभ हो जाती है. साथ ही इस शुभ दिन पर शादी करना भी बहुत शुभ माना जाता है. वे बताते हैं कि यदि किसी आदमी की गृह गुनाह या फिर अन्य किसी भी वजह के कारण विवाह नहीं हो पा रही है या कोई भी अड़चन विवाह होने में आ रही है, तो वे तुलसी शादी के शुभ अवसर पर निश्चिंत होकर शादी कर सकते हैं.

तुलसी शादी के दिन तुलसी पर जरूर चढ़ाएं जल

धर्मानंद शास्त्री बताते हैं कि इस वर्ष 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी है और 24 नवंबर को तुलसी शादी माना जाता है कि इस दिन ईश्वर विष्णु योग निद्रा से उठते हैं और पाताल लोक से बैकुंठ लौटकर आते हैं. जिसके दूसरे ईश्वर विष्णु और मां तुलसी का शादी होता है, जिसे तुलसी शादी बोला जाता है. इस दिन प्रातः उठकर तुलसी पर जल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है. जो कोई वैवाहिक जोड़ा इस दिन तुलसी में जल चढ़ाता है और सच्चे मन से ईश्वर विष्णु की पूजा करता है, उसका वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है.

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