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इस कचौड़ी का है 73 साल से जलवा, एक बार खाएंगे तो आप भी हो जाएंगे दीवाने

ताला और तालीम के शहर अलीगढ़ खाने-पीने की चीज़ों के लिए भी प्रसिद्ध है. इस शहर मे शायद ही ऐसा कोई आदमी होगा जिसे करारी कचौड़ियों का स्वाद अपना दीवाना ना बना लेता हो. कचौड़ी की खुशबू आते ही चुंबक की तरह हर कोई इसकी तरफ खिंचा चला आता है. खासकर जब कोई अलीगढ़ में हो तब ये तलब और भी अधिक बढ़ जाती है. यदि आप उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ आए और शिब्बोजी की कचौड़ियों का स्वाद नहीं लिया तो स्वयं को ठगा महसूस करेंगे.

दरअसल, खाई डोरा निवासी शिव नारायण शर्मा ने 1951 में कचौड़ी की दुकान की आरंभ की थी. पिछले करीब 72 वर्षों से परिवार की चार पीढ़ियां इसे आगे बढ़ाते और चलाते चली आ रही हैं. मौजूदा समय में शिव नारायण शर्मा के पोते सुमित शर्मा शिब्बोजी दुकान संभाल रहे हैं.

ऐसे पड़ा दुकान का नाम शिब्बोजी
वहीं, LOCAL 18 से बात करते हुए सुमित शर्मा बताते हैं कि उनके दादा जी को प्यार से घर में शिब्बो बोला जाता था. वहीं नाम आज ब्रांड बन चुका है. दादा और पिता के बाद बेटे हरिओम शर्मा ने 1982 से कमान संभाली थी. इसके बाद हरिओम शर्मा के पुत्र सुमित शर्मा ने दुकान सँभालते हुए स्वाद और साख गिरने नहीं दी. शिब्बोजी कचौड़ी एक ब्रांड बन गया है. जिसकी पहुंच केवल राष्ट्र नहीं बल्कि पूरे विश्व में है. फिर चाहे अलीगढ़ के लोग हों, या फिर अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, जापान और सिंगापुर के, उनकी कचौड़ी का स्वाद सभी को खींच ही लाता है. विदेश में रहने वाले लोग जब भी अलीगढ़ आते हैं, तो कचौड़ी खाए बिना नहीं रहते. वहीं, राष्ट्र से लौटते समय कचौड़ी लेकर जाना भी नहीं भूलते हैं.शिब्बोजी कचोरी की मूल्य 50 रुपये है.

जानिए कैसे तैयार होती है कचौड़ी?
शिब्बोजी कचौड़ी की खास बात इसकी शुद्धता है. शिब्बोजी कचौड़ी के मालिक सुमित शर्मा बताते हैं कि कचौड़ी सही देसी घी में निकाली जाती है. जिसको लैब में टेस्ट कराकर प्रयोग में लिया जाता है. वहीं, सब्जी के लिए मसाले घर पर ही तैयार किए जाते हैं. मसाले में जरा भी मिलावट नहीं होती है, इसलिए सब्जी में जब मसाला मिलाया जाता है, तो वह लोगों को अपना दीवाना बना देती है.

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