आजकल की सास होने वाली बहू के सामने खूबसूरती को बढ़ाने वाली अजीबो-गरीब डिमांड
शादियों का मौसम प्रारम्भ हो चुका है। ऐसे में जिन लड़कियों की विवाह पक्की हाे गई है, वह जमकर शॉपिंग करने के साथ ही अपने खास दिन के लिए सबसे स्पेशल लुक पाने में जुटी हैं। विवाह की एक्साइटमेंट सिर्फ़ दूल्हा-दुल्हन को ही नहीं बल्कि लड़के की मां को भी उतनी ही होती है। वह चाहती हैं कि उनकी बहू चांद का टुकड़ा दिखे और सभी सम्बन्धी जब बहू का चेहरा देखें तो देखते ही रह जाएं।
अपनी इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए आजकल की सास होने वाली बहू के सामने खूबसूरती को बढ़ाने वाली अजीबो-गरीब डिमांड कर रही हैं।
जब होने वाली सास ने कहा- विवाह तक गोरी हो जाओ
एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वालीं शिल्पा श्रीवास्तव की विवाह दिसंबर में है। विवाह फिक्स होने के बाद हंसते-हंसते सास ने बोला तुम्हारा कॉम्प्लेक्शन डार्क है। मैंने सुना है बाजार में आजकल गोरे होने के इंजेक्शन मिल रहे हैं। तुम भी गोरा होने का इंजेक्शन लगवा लो।
दरअसल, सास ने ओटीटी पर ‘मेड इन हैवन-2’ नाम की सीरीज देखी जिसमें दुल्हन अपनी स्किन को गोरी करने के लिए ग्लूटाथिओन के इंजेक्शन लगवाती है। सास की बात सुन शिल्पा दंग रह गईं लेकिन अब वह ब्यूटी ट्रीटमेंट करवा रही हैं और उन्हें स्किन कॉम्प्लेक्शन में फर्क भी नजर आ रहा है। विवाह के खर्चों के अतिरिक्त ये एक नए तरह का महंगा खर्चा लड़की वालों का सिरदर्द बन रहा है।
इवन टोन और लाइटर टोन की सबसे अधिक डिमांड
नोएडा एक्सटेंशन के यथार्थ सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजिस्ट डाक्टर हिना शर्मा कहती हैं कि जिन लड़कियों की विवाह होने वाली है, उनकी प्री ब्राइडल प्राेसिजर में सबसे अधिक डिमांड इवन टोन की होती है।
दरअसल जब हम अपनी स्किन को सूरज की किरणों से सुरक्षित नहीं रखते तो स्किन में पैच होने लगते हैं और सनलाइट कभी दाएं तो कभी बाएं तरफ अधिक पड़ती है। सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें स्किन के सेल्स को डैमेज करके पिग्मेंटेशन प्रारम्भ कर देती हैं।
इससे ‘अन इवन स्किन टोन’ हो जाती है। यानी चेहरे पर जगह-जगह टैन होता है। इवन टोन के लिए घर से बाहर निकलते हुए चेहरे पर सनस्क्रीन लगाना बहुत महत्वपूर्ण है।
दूसरी सबसे अधिक डिमांड होती है लाइटर टोन की। यानी सबको गोरा रंग चाहिए।
डार्क टोन को लाइट करने के लिए ग्लूटाथिओन के इंजेक्शन लगाए जाते हैं। यदि स्किन अधिक डार्क है तो सप्ताह में 2 बार सिटिंग होती है। यदि स्किन की लाइटर टोन है तो 2 सप्ताह में एक बार भी ये इंजेक्शन लिए जा सकते हैं। यह त्वचा के रंग पर निर्भर करता है।
केमिकल पीलिंग और PRP दे नेचुरल ग्लो
ब्यूटी ट्रीटमेंट वही अच्छा लगता है जो नेचुरल ग्लो दे, फेक ब्यूटी किसी को अच्छी नहीं लगती। दुल्हन विवाह के दिन नेचुरल ग्लो केमिकल पीलिंग और PRP ट्रीटमेंट से पा सकती हैं।
इसमें कुछ बाहर से केमिकल स्किन में नहीं डाला जाता। केमिकल पीलिंग में एक केमिकल फेस पर लागू किया जाता है जो स्किन की ऊपरी परत से डेड सेल, टैनिंग और पिगमेंटेशन हटाता है और स्किन की नयी लेयर आती है।
पीआरपी ट्रीटमेंट यानी प्लेटलेट्स रिच प्लाज्मा को वैंपायर फेशियल भी कहते हैं। इसमें आदमी का ब्लड निकालकर प्लाज्मा को अलग कर उसे स्किन में इन्जेक्ट कर दिया जाता है। इससे चेहरा फ्लोलेस और ग्लोइंग तो बनता ही है, एजिंग के साइन भी रिवर्स हो जाते हैं।
दुल्हन बनने जा रही लड़कियों को यह कॉस्मेटिक प्रोसिजर्स विवाह से 3 से 4 महीने पहले प्रारम्भ कर लेने चाहिए क्योंकि इनकी सिटिंग में 3 सप्ताह का गैप होना चाहिए। यदि 2 से 3 सिटिंग लेंगे तभी इसका लाभ मिल पाएगा। ट्रीटमेंट कराने आई लड़कियों से बात करने पर ये पता चला कि उनसे सास या ननद से डिमांड थी कि तुम्हारा चेहरा इतना फीका क्यों लग रहा है, कुछ खाती पीती नहीं क्या? इस बात को सुनने के बाद उन्होंने ब्यूटी ट्रीटमेंट लेने का मन बनाया।
होंठ चाहिए मोटे और पिंक
दिल्ली में रहने वाली निकिता ने कहा कि उनके होंठ बहुत पतले और डार्क थे। एक दिन उनकी होने वाली सास ने टोकते हुए बोला कि तुम्हारे चेहरे पर तो होंठ दिखते ही नहीं। उन्होंने निकिता को कोई ट्रीटमेंट करवाने को तो नहीं बोला लेकिन यह बात उसके दिल पर लग गई और उसने सेमी परमानेंट मेकअप करने का मन बना लिया।
निकिता ने कॉस्मेटिक फेशियल फिलर का सहारा लिया। इसे लिप फिलर भी बोला जाता है। लॉन्ग लास्टिंग परिणाम के लिए हर 6 से 8 महीने के बाद इसके इंजेक्शन लगवाने पड़ते हैं।
इसके अतिरिक्त लिप पिग्मेंट के जरिए होंठों को पिंक बनाया।
कॉस्मेटिक फेशियल फिलर के अतिरिक्त आजकल हयालूरोनिक एसिड फिलर के इंजेक्शन भी काफी पॉपुलर हैं। इन डर्मा फिलर से होंठ हाइड्रेटेड रहते हैं, फटते नहीं हैं और फुल वॉल्यूम में नजर आते हैं। इसके लिए हर 6 से 18 महीनों में टचअप कराना होता है।
नकली तिल और आईब्रो पर आए दिल
दुल्हनों के बीच आर्टिफिशियल मोल बनवाने और भरी-भरी आइब्रो दिखने का भी क्रेज है। दोनों को बनाने के लिए टैटू इंक या पिगमेंट का इस्तेमाल होता है। यह सेमी परमानेंट मेकअप में आता है।
इसकी विजिबिलिटी इस बात पर निर्भर करती है कि आदमी का स्किन टाइप कैसा है और धूप में कितनी बार निकलते हैं।
इस तरह का फेक तिल 3 वर्ष तक टिका रहता है।
लेजर से हटवा रहीं अनचाहे बाल
दिल्ली स्थित मैक्स स्मार्ट सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत में डर्मेटोलॉजिस्ट डाक्टर कशिश कालरा कहते हैं कि अक्सर लड़कियां अपनी बॉडी पर बाल देखकर लज्जा महसूस करती हैं। यदि उनकी विवाह फिक्स हो जाती है तो वह सबसे अधिक अपरलिप्स, अंडरआर्म्स और प्यूबिक हेयर को रिमूव करवाने आती हैं।
लेजर हेयर रिडक्शन ट्रीटमेंट से बाल धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।
ग्रोइंग बालों के 2 भाग होते हैं: शाफ्ट और बल्प। शाफ्ट शरीर के बाहर और बल्प हेयर फॉलिकल (बालों की जड़ों) का बेस होता है।
लेजर से बल्प को गलाया जाता है क्योंकि इसके अंदर मेलेनिन होता है। जिसमें मेलेनिन की अधिक मात्रा होगी, बाल उतने ही काले होंगे।
यानी हेयर रिडक्शन टेक्नीक में लेजर बालों को नहीं बल्कि उसके अंदर के मेलेनिन के कलर को टारगेट करता है।
अगर किसी स्त्री के चेहरे पर बालों की ग्रोथ नॉर्मल है तो 7 से 8 सेशन में ही हेयर रिडक्शन थेरेपी के अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं।
जो बाल शरीर पर बच जाते हैं उसके लिए 4-5 महीने बाद दोबारा लेजर ट्रीटमेंट रिपीट किया जाता है या शेव कर सकते हैं। इस ट्रीटमेंट के दौरान वैक्सिंग, थ्रेडिंग या हेयर रिमूवल क्रीम का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
परफेक्ट स्माइल भी हो रही डिजाइन
दांतों का गैप भरने या टेढ़े-मेढ़े दांतों को सीधा करने के लिए आमतौर पर तार यानी ब्रेसेज लगाए जाते हैं। लेकिन आजकल एलाइनर या इनविजिबल अलाइनर का चलन बढ़ा है।
गुरुग्राम में डेंटल सर्जन डाक्टर कोमल गुलिया के मुताबिक ब्रेसेज में दांतों में तार लगे नजर आते हैं लेकिन एलाइनर में ऐसा नहीं है। यह ट्रांसपेरेंट होते हैं जिसे 20 से 22 घंटे तक पहना जा सकता है। इससे 8 महीने से 1 वर्ष में ही दांत शेप में आ जाते हैं। इस ट्रीटमेंट की मूल्य 1.5 लाख रुपये से प्रारम्भ होती है।
वहीं, स्माइल को भी सॉफ्टवेयर से डिजाइन किया जाता है। इसमें दांतों के लिए टेम्प्लेट तैयार किया जाता है और उस हिसाब से दांतों को छोटा-बड़ा किया जाता है। स्माइल लाइन खींची जाती है ताकि दांतों को ठीक ढंग से सेट किया जा सके। आवश्यकता पड़ने पर सर्जरी से भी मसूड़ों को ठीक किया जाता है। इसमें एक दांत की मूल्य 15,000 रुपए से प्रारम्भ होती है और पूरे प्रोसिजर में 2 से 3 लाख रुपये तक का खर्चा होता है।
गुब्बारा खाकर लड़कियां हो रहीं स्लिम
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डाक्टर अनिल अरोड़ा कहते हैं कि आजकल जिन लड़कियों की विवाह फिक्स हो रही है, उन पर विवाह के दिन स्लिम दिखना का प्रेशर बढ़ जाता है क्योंकि कहीं ना कहीं उनकी बॉडी शेमिंग होने लगती है।
चूंकि विवाह से पहले किसी भी तरह की टमी कम करने के लिए सर्जरी की राय नहीं दी जाती इसलिए उन्हें allurion balloon नाम का गुब्बारा खाने को दिया जाता है। इसे गैस्ट्रिक बैलून भी बोला जाता है। यह सॉल्युबल ब्लून है जो खाने के बाद पेट में फिट हो जाता है और ओवर इटिंग से बचाता है।
6 महीने बाद से यह अपने आप पेट में घुलकर मोशन के साथ निकल जाता है।
लड़कियों का पतलापन सासों की दिक्कत
अगर बहू पतली दुबली हो तो कई बार सास दबी आवाज में यह तक कह देती है कि ब्रेस्ट बहुत छोटी है, ब्रेस्ट इंप्लांट करवा लो।
ब्रेस्ट इंप्लांट में सिलिकन जेली से ब्रेस्ट का साइज बढ़ाया जाता है। इसमें अंडरआर्म्स की तरफ के हिस्से को चीरा लगाकर सिलिकन जेली को इंप्लांट किया जाता है।
इससे ब्रेस्ट फीडिंग में परेशानी नहीं होती क्योंकि ब्रेस्ट में बने मिल्क लोब्युल्स को नहीं छेड़ा जाता।