गुरु के वृषभ राशि में प्रवेश करने से मीन राशि वालों पर क्या रहेगा प्रभाव…
Jupiter in Taurus: देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि में 1 मई के दिन प्रवेश कर चुके हैं. गुरु के गोचर से सभी 12 राशियां प्रभावित हुई हैं. कुछ के लिए गोचर शुभ है तो कुछ के लिए टेंशन वाला बताया जा रहा है. ऐसे में आइए ज्योतिर्विद दिवाकर त्रिपाठी से जानते हैं की गुरु के वृषभ राशि में प्रवेश करने से मीन राशि वालों पर क्या असर रहेगा और उपाय-
मीन :- मीन राशि तथा मीन लग्न के लिए देवगुरु बृहस्पति दशम जगह राज्य रेट के कारक एवं लग्न जगह शरीर रेट के कारक होने के कारण परम शुभ कारक ग्रह माने जाते हैं. ऐसी स्थिति में लग्न एवं राज्य के कारक होकर पराक्रम रेट में गोचर करना राज्य संबंधित कार्यों में प्रगति प्रदान करने वाला होगा. जॉब तथा व्यवसाय में बदलाव की स्थिति उत्पन्न होगी. परिश्रम में वृद्धि होगी. कार्यों में सकारात्मक सुधार की आसार बनेगी . आत्मशक्ति में वृद्धि होगी . पराक्रम में वृद्धि होगी . मन: स्थिति में सुधार होगा . आत्म बल में वृद्धि होगी . चरित्र में निखार आएगा . सामाजिक दायरे में वृद्धि होगी . भाई-बहनों तथा मित्रों को लेकर तनाव की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है. आंतरिक डर उत्पन्न हो सकता है. कार्यों को सोच समझ कर करने की प्रवृत्ति में वृद्धि होगी. बृहस्पति की पंचम दृष्टि कन्या राशि सप्तम रेट पर होगी. ऐसे में दांपत्य सुख में वृद्धि. प्रेम संबंधों में सकारात्मक सुधार. साझेदारी के कार्यों में फायदा की स्थिति. दैनिक आय में वृद्धि. रोजगार में वृद्धि तथा वैवाहिक कार्यक्रमों में कामयाबी का संयोग बनेगा. बृहस्पति की सप्तम दृष्टि वृश्चिक राशि भाग्य रेट पर होगी . रिज़ल्ट स्वरुप कार्यों में भाग्य का साथ प्राप्त होगा. पिता के योगदान सानिध्य आशीर्वाद में वृद्धि होगी. धार्मिक क्षेत्र में वृद्धि होगी. परिश्रम का पूर्ण फल प्राप्त होगा . बृहस्पति की नवम दृष्टि मकर राशि फायदा रेट पर होगी . फल स्वरुप आर्थिक गतिविधियों में विकास. व्यापारिक गतिविधियों में विकास एवं व्यापार में बदलाव तथा विस्तार का योग बनेगा . अचानक धन फायदा की स्थिति. शेयर बाजार, सट्टा बाजार तथा भाग्य वादी कार्यों में प्रगति की स्थिति बनेगी. पैतृक संपत्ति का फायदा प्राप्त होगा . भाई बहनों का योगदान प्राप्त होगा.
उपाय :- यदि बृहस्पति मूल कुंडली के मुताबिक पीड़ित हालत में है तो बृहस्पति को मजबूत करने के लिए मूल कुंडली के मुताबिक तरीका अवश्य करें. बृहस्पति स्तोत्र का नियमित पाठ करें.