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भौमवती अमावस्या के व्रत से कभी नहीं करना पड़ेगा संकट का सामना

आज भौमवती अमावस्या है, इस व्रत के दिन स्नान-दान, तर्पण कर हनुमान जी और मंगल देव की पूजा करने वालों को कभी संकट का सामना नहीं करना पड़ता है, तो आइए हम आपको भौमवती अमावस्या व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं.

जानें भौमवती अमावस्या के बारे में

अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 12 दिसंबर को मंगलवार के दिन मंगल आदित्य योग में आ रही है. पंडितों के मुताबिक मंगलवार के दिन अमावस्या होने से यह भौमवती अमावस्या कहलाएगी. इस दिन ग्रह गोचर में सूर्य, मंगल और चंद्रमा वृश्चिक राशि में परिभ्रमण करेंगे, इससे मंगल आदित्य नामक योग का निर्माण होगा. इससे मंगलकारी अमावस्या भी बोला है. इस वर्ष की आखिरी अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ रही है. मंगल को भौम भी बोला जाता है, इस वजह से यह भौमवती अमावस्या है. भौमवती अमावस्या के दिन स्नान के बाद पितरों के लिए दान करते हैं.

भौमवती अमावस्या व्रत से पूर्वज होते हैं खुश 

पंडितों के अनुसार, अमावस्या तिथि को दान करने से पितर खुश होते हैं और प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं, जिससे उन्नति होती है. नाराज पितरों को खुश करने के लिए आमवस्या तिथि एक उत्तम दिन है. पितरों के आशीर्वाद से धन, सुख, समृद्धि, वंश आदि में बढ़ोत्तरी होती है. मध्य रात्रि की देवी साधना विशेष फायदा प्रदान करती है. इस दिन ईश्वर सूर्य का पूजन भी विशेष फायदा प्रदान करता है. वहीं मंगल ग्रह दुर्गा देवी की साधना से अनुकूल होता है. हनुमान जी की साधना भी फायदेमंद रहती है. इस दृष्टि से इस योग में इनकी संयुक्त साधना करने से अनुकूलता मिलती है.

पितरों की कृपा प्राप्त करने का खास दिन

अमावस्या तिथि के अधिपति पितृ देवता होते हैं, जिनके परिवार में पितृ गुनाह है या परिवार में अशांति है उन जातकों को पितृ शांति करनी चाहिए. यह शांति अमावस्या के दिन विशेष रूप से मानी जाती है. इस दौरान तीर्थ पर जाकर तर्पण और पिंडदान करना चाहिए और घर पर गाय, कौआ, श्वान, भिक्षुक को यथा श्रद्धा भोजन का दान करना चाहिए. धूप ध्यान के साथ में पितरों को स्मरण करना चाहिए. ऐसा करने से भी पितरों की कृपा प्राप्त होती है. बाधाएं निवृत्ति होती है.

मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन करें ये उपाय

मार्गशीर्ष अमावस्या मंगलवार को है. ऐसे में मंगल गुनाह के कारण शादी में देरी हो रही है तो मंगल ग्रह के बीज मंत्र ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः का 108 बार जाप करें या उससे जुड़ी वस्तुएं स्वर्ण, गुड़, घी, लाल मसूर की दाल, कस्तूरी, केसर, लाल वस्त्र, मूंगा, ताम्बे के बर्तन का निर्धन को दान करें. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन जल में तिल डालकर स्नान करें. इसके बाद तर्पण करें और पितरों के देवता अर्यमा की पूजा करें. इस दिन पितृ सूक्त का पाठ करें. ये तरीका आपकी तरक्की की राह में आ रही परेशानियों का अंत करेगा.

मार्गशीर्ष अमावस्या 2023 का मुहूर्त 

पंडितों के मुताबिक मार्गशीर्ष अमावस्या 12 दिसंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 24 मिनट से प्रारम्भ होगी और 13 दिसंबर 2023 को सुबह 05 बजकर 01 मिनट पर इसका समाप्ति होगा.

स्नान मुहूर्त- सुबह 05.14 – सुबह 06.09

पितृ पूजा- सुबह 11.54 – दोपहर 12.35

भौमवती अमावस्या को सूर्य को अघर्य देना होगा लाभदायी

पंडितों का बोलना है कि इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य जरूर देना चाहिए. दान करना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है. इस दिन सात्विक आहार खाएं.

भौमवती अमावस्या का महत्व

अमावस्‍या तिथि को ऋण से मुक्ति पाने के लिए बहुत ही खास और शुभ माना जाता है. इस दिन पूजापाठ और दान से और पवित्र नदी में स्‍नान करने से आपको पुण्‍य की प्राप्ति होती है और आपके आर्थिक कष्‍ट दूर होते हैं. विष्‍णु पुराण में कहा गया है कि मंगलवार की अमावस्‍या का व्रत करने से आपको हनुमानजी ही नहीं बल्कि सूर्य, अग्नि, इंद्र, रूद्र, अष्टवसु, पितर, अश्विनी कुमार और ऋषियों का भी आशीर्वाद मिलता है. आप अपना ऋण उतारने में सफल होते हैं. ऋण से मुक्ति पाने के लिए इस दिन ऋणमोचक मंगल का पाठ करने से आपको विशेष फायदा होगा.

इसलिए बोला जाता है भौमवती अमावस्या

इस वर्ष मार्गशीर्ष अमावस्या मंगलवार के दिन पड़ रही है. वहीं धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मंगलवार का दिन ईश्वर हनुमान और मंगल देव को समर्पित माना गया है. मंगल देव और हनुमान जी दोनों को ही भौम के नाम से  भी जाना जाता है. इसलिए मंगलवार के दिन पड़ रही मार्गशीर्ष अमावस्या को भौमवती अमावस्या भी बोला जाता है.

मिलते हैं ये लाभ

माना जाता है कि भौमवती अमावस्या के दिन पर हनुमान जी की उपासना करने से साधक को जीवन में आ रही धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा मिलता है. साथ ही ऋण से मुक्ति भी मिलती है. कुंडली में मंगल को मजबूत करने के लिए भी इस अमावस्या को बहुत ही उत्तम माना गया है. इस दिन पर गुड़, घी और लाल मसूर की दाल आदि चीजों को जरूरतमंदों में दान करने से मंगल गुनाह का असर भी कम होता है.

विवाह-बीमारी की परेशानी होगी दूर 

वैवाहिक जीवन के साथ ही शारीरिक क्षमताओं में कमी, क्षीण आयु, बीमारी द्वेष और कलह-क्लेश को जन्म देता है. यदि मंगल गुनाह अधिक ही परेशानी दे रहा हो तो भौमवती अमावस्या पर लाल मीठी चीजों का दान करें मंगल के मंत्र का जाप मध्य दोपहर करने से मंगल का अशुभ असर खत्म हो जाता है.

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