अजित पवार ने आज पुणे के इंदापुर में डॉक्टरों की एक बैठक को संबोधित किया, जि
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आज पुणे जिले के इंदापुर में डॉक्टरों की एक बैठक को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने भ्रूणहत्या के मामले पर आपत्तिजनक टिप्पणी की. लिंग अनुपात (पुरुष-महिला अनुपात) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘अगर यही स्थिति रही तो भविष्य में द्रौपदी जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी.’
पवार ने लिंगानुपात की स्थिति पर चिंता व्यक्त की
लड़कियों की जन्म रेट में कमी और लड़कों की जन्म रेट में बढ़ोतरी को लेकर बैठक में पवार ने लिंग अनुपात की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा, ”कन्या भ्रूण के कारण कुछ राज्यों में लिंग अनुपात इतना खराब हो गया है कि भविष्य में हमें द्रौपदी के बारे में सोचना पड़ सकता है.” दरअसल महाभारत में द्रौपदी को पांच पांडवों के रूप में वर्णित किया गया था. अजित पवार ने इसका जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की.
पवार ने महिला बीमारी जानकारों की शिकायतों का हवाला दिया
पवार ने कुछ महिला बीमारी जानकारों की शिकायतों का हवाला दिया कि उन्हें प्रसव पूर्व परीक्षणों में लिंग निर्धारण को रोकने के नाम पर स्वास्थ्य विभाग से उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. हालांकि, उन्होंने यह भी बोला कि उत्पीड़न के मुद्दे सामने आने के बावजूद अस्पतालों में गैरकानूनी गतिविधियां होने की भी खबरें आ रही हैं. आप बीड की स्थिति जानते हैं, जहां कुछ डॉक्टरों को गैरकानूनी गर्भपात रैकेट चलाने के इल्जाम में अरैस्ट किया गया था, ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए.
‘मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था’
उन्होंने आगे कहा, ‘कुछ जिलों में पुरुष-महिला अनुपात खराब है, जहां 1000 मर्दों पर 850 महिलाएं हैं. यदि यही हाल रहा तो भविष्य में द्रौपदी (एक स्त्री के कई पति होने के संदर्भ में) के बारे में सोचना पड़ सकता है. ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है.’ हालांकि, पवार ने तुरंत सफाई देते हुए बोला कि, ‘द्रौपदी का उदाहरण देकर मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था.’
अजित के विवादित बयान के बाद शरद गुट भड़क गया है
शरद गुट के नेता जीतेंद्र आव्हाड ने अजित पवार के बयान की निंदा की और बोला कि उन्हें माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने बोला कि द्रौपदी का मतलब क्या है? अजित पवार के मन से जहर निकल रहा है. उन्हें माफी मांगनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि द्रौपदी महाभारत की अमर पात्र हैं, उनके पांच पति थे. युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव… धार्मिक इतिहास में स्त्री बहुविवाह का यह पहला मुद्दा था.