इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्म परिवर्तन और उसकी प्रक्रिया पर की ये अहम टिप्पणी
Religious Conversion In India: भारतीय संविधान में नागरिकों को अधिकार दिया गया है कि वह जो चाहें वह धर्म फॉलो कर सकते हैं। इसकी उन्हें पूरी स्वतंत्रता है। लेकिन चोरी-छिपे या फर्जीवाड़ा से होने वाले धर्म बदलाव के कई मुद्दे भी देखे गए हैं। इस बीच, इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने धर्म बदलाव और उसकी प्रक्रिया पर अहम टिप्पणी की है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बोला कि कानूनी प्रक्रिया से धर्म बदलाव के लिए लोग स्वतंत्र हैं। यदि कोई अपना धर्म बदलता है तो उसे अखबार में विज्ञापन देना होगा।
कानूनी प्रक्रिया के अनुसार हो धर्म परिवर्तन
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जरूरी टिप्पणी करते हुए बोला है कि कानूनी प्रकिया से हुआ धर्म बदलाव वैध है। लेकिन इसे छिपाकर ना किया जाए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक आदेश में बोला है कि राष्ट्र में कोई भी आदमी धर्म बदलने के लिए स्वतंत्र है। बशर्ते कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया हो।
अखबार में देना होगा धर्म बदलने का विज्ञापन
हाईकोर्ट ने बोला कि इसके लिए शपथ पत्र और अखबार में विज्ञापन दिया जाना महत्वपूर्ण है। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि धर्म बदलाव से कोई सार्वजनिक विरोध नहीं है। यह भी सुनिश्चित किया जाना महत्वपूर्ण है कि कोई फर्जीवाड़ा या गैरकानूनी धर्म बदलाव नहीं है। साथ ही सभी सरकारी आईडी पर नया धर्म दिखाई देना चाहिए।
संविधान में नागरिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता
गौरतलब है कि भारतीय संविधान के आर्टिकल 25 से 28 में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। हिंदुस्तान के नागरिकों को आस्था और प्रार्थना की आजादी दी गई है। लोगों को धार्मिक मामलों के प्रबंधन की आजादी है। किसी विशिष्ट धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए टैक्स से भी छूट मिलती है। कुछ शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा और उपासना में उपस्थित होने की भी स्वतंत्रता है।