कर्नाटक में पूरे मुस्लिम समुदाय को ओबीसी वर्ग में आरक्षण का लाभ देने के लिए NCBC ने जताई आपत्ति
कर्नाटक में पूरे मुसलमान समुदाय को आरक्षण का फायदा देने के लिए ओबीसी वर्ग में शामिल करने के राज्य गवर्नमेंट के निर्णय पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोगन (एनसीबीसी) ने विरोध जताई है. अब एनसीबीसी इसे लेकर कर्नाटक के मुख्य सचिव को समन भेजने की तैयारी कर रहा है. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने यह जानकारी दी. हंसराज अहीर ने बोला कि ‘कर्नाटक में मुसलमान धर्म की सभी जातियों और समुदायों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा मानते हुए उन्हें पिछड़ा वर्ग के राज्य सूची में सेकेंड बी कैटेगरी के अनुसार अलग से बतौर मुसलमान जाति शामिल किया गया है.‘
‘सरकार के उत्तर से संतुष्ट नहीं’
हंसराज अहीर ने बोला कि इस वर्गीकरण की वजह से मुस्लिमों को शिक्षण संस्थानों और राज्य सेवा की नौकरियों में संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के अनुसार आरक्षण का फायदा मिलेगा. एनसीबीसी ने बोला कि सभी मुस्लिमों को ओबीसी वर्ग में आरक्षण देने से मुसलमान समुदाय की विविधता और जटिलताओं की भी अनदेखी हुई है. अहीर ने कहा कि राज्य गवर्नमेंट ने इस मुद्दे पर जो उत्तर भेजा है, वह संतोषजनक नहीं है और इसलिए वह कर्नाटक के मुख्य सचिव को इस मुद्दे में समन भेजकर तलब करेंगे और स्पष्टीकरण मांगेंगे.
कर्नाटक में 12.92 प्रतिशत मुसलमान आबादी
कर्नाटक के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के डाटा के अनुसार, मुसलमान धर्म की सभी जातियों और समुदायों को ओबीसी वर्ग में शामिल किया गया है. बीते वर्ष एक जांच के दौरान राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य में आरक्षण नीति की समीक्षा की, जिसमें मुस्लिमों को ओबीसी वर्ग में आरक्षण का फायदा देने का खुलासा हुआ. कर्नाटक में ओबीसी वर्ग को 32 प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है. राज्य गवर्नमेंट के सभी मुस्लिमों को ओबीसी वर्ग में शामिल करने से क्षेत्रीय निकाय चुनाव भी प्रभावित होगा. 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में 12.92 प्रतिशत मुसलमान हैं.