किसानों पर गोली चलाने से विश्व मंच पर भारत का सिर शर्म से झुका
सभी किसान यूनियनों की समन्वय समिति के अध्यक्ष पी।आर। पांडियन ने दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। भाषण देने वाले शख्स ने तब बोला था कि संघर्षरत किसानों पर गोली चलाने से विश्व मंच पर हिंदुस्तान का सिर लज्जा से झुक गया है।
पिछले दो दिनों से पंजाब के शंभू और कनोरी बॉर्डर पर किसानों की राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक हुई। इसमें किसान अपनी दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे संघर्ष को और तेज करने को लेकर विस्तृत मंत्रणा कर रहे हैं। बैठक में तमिलनाडु के सभी किसान संघों की समन्वय समिति के अध्यक्ष बीआर पांडियन ने भाग लिया। फिर कल उन्होंने शंभू बॉर्डर पर चल रही विरोध सभा में भी बात की।
उस समय समन्वय समिति के अध्यक्ष पीआर पांडियन ने बोला था: सत्तारूढ़ बीजेपी ने चुनाव घोषणापत्र में वादा किया था कि यदि हम पिछले 2014 के चुनावों में सत्ता में आए, तो हम एमएस स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को पूरा करेंगे।
लेकिन, यह अब तक पूरा नहीं हो सका है। पिछले साल 2020-21 में जब उन्होंने कृषि विरोधी कानूनों के विरुद्ध लड़ाई लड़ी, तो उन्होंने बोला कि वे कृषि विरोधी कानूनों को तुरंत वापस लेंगे और किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने के लिए एक स्थायी कानून लाने के लिए तुरन्त कार्रवाई करेंगे। पिछले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की बात कही गई थी। इसी तरह केंद्र गवर्नमेंट द्वारा किये गये कई वादे भी पूरे नहीं किये गये हैं।
इसके चलते किसान शांतिपूर्वक यह कहते हुए दिल्ली के लिए रवाना हो गए कि संसदीय चुनाव निकट आ रहे हैं इसलिए उन्हें अपने वादे पूरे करने चाहिए। गवर्नमेंट उन्हें रोकती है और गोली मार देती है। भारत के लोग इस कार्रवाई को बर्दाश्त नहीं करेंगे और इसकी कड़ी आलोचना करेंगे।’ मोदी गवर्नमेंट बंदूक चलाना बंद कर मांगे पूरी करे। किसानों को संघर्ष के मैदान में उतरे नेताओं से वार्ता करनी चाहिए। इसका शीघ्र निवारण निकाला जाना चाहिए। दुनिया यह देखकर आश्चर्यचकित है कि किसानों का संघर्ष ऐतिहासिक महत्व रखता है।
किसान सुब्रवन सिंह की गोली मारकर मर्डर कर दी गई और विश्व पटल पर हिंदुस्तान का सिर लज्जा से झुक गया। वह यह कहकर दिल्ली में विरोध को टालने की प्रयास कर रही है कि इसमें सिर्फ़ पंजाब के किसान हैं। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। इस संघर्ष के समर्थन में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक किसान एकजुट होकर सियासी लड़ाई लड़ रहे हैं। कल मदुरै आये पीएम मोदी के विरुद्ध किसानों ने काले झंडे दिखाकर विरोध जताया और बोला ‘मोदी वापस जाओ’। तमिलनाडु से दिल्ली में प्रदर्शन करने आ रहे किसानों को केंद्र गवर्नमेंट रोक रही है और अरैस्ट कर रही है।
इसलिए, तमिलनाडु की तरह, हम रेल अवरोध, सड़क अवरोध, प्रदर्शन और नाकेबंदी जैसे विरोध प्रदर्शनों में किसानों का समर्थन करना जारी रखेंगे। किसानों का संघर्ष वीरतापूर्ण संघर्ष है। हमें इसमें भाग लेने और संबोधित करने पर बहुत गर्व है। इस प्रकार उन्होंने बात की।