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दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष लवली के इस्तीफे पर प्रभारी दीपक बाबरिया ने कहा…

नई दिल्ली कन्हैया कुमार और उदित राज के लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद दिल्ली कांग्रेस पार्टी में जो हंगामा मचा था, वह अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है पार्टी के एक के बाद एक बड़े चेहरे पार्टी से दूर होते जा रहे हैं इसमें कई नेताओं ने तो पार्टी ही छोड़ दिया है इस बीच दिल्ली की सभी सातों सीटों पर आज से नामांकन प्रक्रिया भी प्रारम्भ हो गई है नामांकन प्रारम्भ होने से ठीक एक दिन पहले दिल्ली कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने रविवार को अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया था इससे पहले शीला दीक्षित गवर्नमेंट में दिग्गज मंत्री रहे राजकुमार चौहान ने भी त्याग-पत्र दे दिया था लवली और राजकुमार के इस्तीफे के बाद क्या दिल्ली में कांग्रेस पार्टी की चुनाव अभियान पर असर पडे़गा? क्या कांग्रेस पार्टी की नैया इस बार भी बीच मझधार में ही डूब जाएगी?

दिल्ली कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष लवली के इस्तीफे पर प्रभारी दीपक बाबरिया ने बोला है कि आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन मामले पर दिल्ली के सभी नेताओं को विश्वास में लिया गया था लवली भी उस मीटिंग में उपस्थित थे अब लवली आप से गठबंधन और बाहरी उम्मीदवार को लेकर मीडिया में बोल रहे हैं लवली ने उस समय समिति के समक्ष अपने विचार क्यों नहीं रखे यदि उनके मन में किसी तरह की नाराजगी थी तो पार्टी के अंदर बोलते पार्टी आलाकमान ने उन्हें पहले ही साफ कर दिया था कि आप संगठन पर ध्यान दें

क्या कांग्रेस पार्टी की नैया दिल्ली में डूब जाएगी?
कांग्रेस के एक के बाद एक नेता के इस्तीफे के बाद प्रश्न उठता है कि क्या लोकसभा चुनाव में पार्टी के अभियान को झटका लगा है? दिल्ली की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘देखिए, कांग्रेस पार्टी ने जब से लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की, उसके बाद से ही पार्टी में कलह प्रारम्भ हो गई पहले संदीप दीक्षित और कन्हैया कुमार के बीच तकरार प्रारम्भ हुई उसके बाद पार्टी के नॉर्थ-वेस्ट प्रत्याशी उदित राज का कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रारम्भ किया अब अरविंदर सिंह लवली ने त्याग-पत्र दे दिया है लवली कुछ वर्ष पहले भी कांग्रेस पार्टी की विचारधारा को छोड़ कर अपोजिट विचारधारा वाली पार्टी भाजपा में शामिल हो गए थे ऐसे नेताओं को पार्टी क्यों लेती है? पब्लिक भी अब समझदार हो गई है मेरे से ख्याल से कांग्रेस पार्टी के कैंपेन पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा

पांडेय आगे कहते हैं, ‘ रही बात लवली के इस्तीफे कारण आप से गठबंधन का तो यह कोई नयी बात नहीं है समय-समय पार्टियां दूसरे विचारधार वाले दलों से समय की मांग के मुताबिक समझौता करती रही है बिहार में लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस पार्टी को सबसे अधिक हानि पहुंचाया, लेकिन देखिए आज हालात बदली और दोनों एक साथ हैं इसी तरह उत्तर प्रदेश में सपा ने कांग्रेस पार्टी को उखाड़ फेका देखिए, आज उसी सपा से काग्रेंस ने उत्तर प्रदेश में समझौता किया राजनीति में परिस्तथियां बनती हैं और उसके हिसाब से ही गठबंधन बनते हैं भाजपा और लेफ्ट पार्टियां भी केंद्र की बी पी सिंह गवर्नमेंट को समर्थन दिया था जबकि, भाजपा और लेफ्ट पार्टियों की विचारधारा एकदम अलग है

 

 

 

शीला दीक्षित गवर्नमेंट में मंत्री रहे लवली पहले भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं वर्ष 2017 में लवली ने भाजपा का दामन थामा था लेकिन, भाजपा में उपेक्षा का इल्जाम लगाकर अगले वर्ष 2018 में फिर से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे पिछले वर्ष ही अगस्त महीने में कांग्रेस पार्टी पार्टी ने अनिल चौधरी की स्थान लवली के पार्टी का अध्यक्ष बनाया इधर, पार्टी सूत्रों की मानें तो आज शाम तक दिल्ली कांग्रेस पार्टी को कार्यवाहक अध्यक्ष मिल सकता है

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