राष्ट्रीय

दुनिया की सबसे लंबी दो लेन वाली सेला सुरंग का पीएम मोदी ने किया उद्घाटन

ईटानगर पीएम मोदी ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश में 825 करोड़ रुपये की लागत से बनी रणनीतिक रूप से जरूरी सेला सुरंग देश को समर्पित की यह 13 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी दो लेन वाली सुरंग है

यह सुरंग हिंदुस्तान की सुरक्षा को मजबूत करेगी और आवश्यकता पड़ने पर असली नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सशस्त्र बलों की पहुंच को सरल बनाएगी

सुरंग को देश को समर्पित करने के बाद, पीएम ने लोगों से इसे देखने और क्षेत्र में व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायता का आग्रह किया

पीएम ने कहा, “सेला सुरंग पहले ही बन जानी चाहिए थी, लेकिन पिछली कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया” इस मौके पर पीएम ने तवांग से दो बसों को हरी झंडी भी दिखाई

प्रधानमंत्री ने सीमा क्षेत्र को आखिरी मील तक कनेक्टिविटी प्रदान करने और अत्यंत मुश्किल परिस्थितियों में ऐसे दुर्गम क्षेत्र में इंजीनियरिंग के करिश्मा के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रयासों की सराहना की

सेला सुरंग के अलावा, पीएम ने ईटानगर से 123 प्रमुख विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया उन्होंने मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में 55 हजार 600 करोड़ रुपये की 95 परियोजनाओं की नींव रखी

एक अधिकारी ने बोला कि सुरंग के खुलने से असम के तेजपुर को तवांग से जोड़ने वाली सड़क पर हर मौसम में आवागमन संभव हो सकेगा

सेला-चारबेला रिज से होकर गुजरने वाली और न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से निर्मित यह सुरंग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी दे लेन की सुरंग है

गौरतलब हैै कि एनएटीएम का इस्तेमाल विशेष रूप से हिमालय क्षेत्र में सुरंगों के निर्माण में किया जाता है

यह सुरंग बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड पर तवांग क्षेत्र को जोड़ने वाली एक जरूरी धुरी है यह तेजपुर तक भीतरी इलाकों को कनेक्टिविटी प्रदान करती है

सड़क पर नेचिपु, बोमडिला टाउन और सेला दर्रा जैसी कई बाधाएं थीं, जिन्हें बीआरओ ने सेला और नेचिपु सुरंगों और बोमडिला बाईपास का निर्माण कर हल किया

सेला सुरंग की आधारशिला 9 फरवरी, 2019 को पीएम ने ही रखी थी और इसका निर्माण दो महीने के भीतर प्रारम्भ हो गया था

दुर्गम क्षेत्र और प्रतिकूल मौसम की चुनौतियों को पार करते हुए सुरंग का निर्माण सिर्फ़ पांच सालों में पूरा कर लिया गया

इस सुरंग में क्रमशः 1,003 मीटर और 1,595 मीटर लंबी दो सुरंगें हैं इनमें 8.6 किमी की पहुंच और लिंक सड़कें हैं, जिनका निर्माण 825 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है

अधिकारियों ने बोला कि दूसरी सुरंग में अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के मुताबिक मुख्य सुरंग से सटी एक एस्केप ट्यूब भी है

मुख्य ट्यूब के समानांतर बनी एस्केप ट्यूब हर 500 मीटर के बाद क्रॉस पैसेज से जुड़ी है और इमरजेंसी स्थिति में इस एस्केप ट्यूब का इस्तेमाल बचाव वाहनों की आवाजाही और फंसे हुए लोगों को निकालने के लिए किया जा सकता है

सुरंग को 80 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति के साथ प्रति दिन तीन हजार कारों और दो हजार ट्रकों के आने-जाने के लिए डिजाइन किया गया है

यह सुरंग न सिर्फ़ सैनिकों और आपूर्ति की सुचारू आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगी और क्षेत्र में रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी, बल्कि यह तवांग क्षेत्र के लिए आर्थिक समृद्धि के एक नए युग की आरंभ भी करेगी इससे व्यापार, पर्यटन, रोजगार, शिक्षा और समग्र विकास को बढ़ावा मिलेगा

अधिकारियों ने बोला कि पहले सेला दर्रे के मार्ग में सिर्फ़ सिंगल लेन कनेक्टिविटी और घातक मोड़ थे इसके कारण भारी वाहन, कंटेनर ट्रक और ट्रेलर तवांग नहीं जा पाते थे

अधिकारियों के अनुसार, प्रतिकूल मौसम, विशेष रूप से सर्दियों में, मौजूदा सेला दर्रे से रोगियों को आने-जाने में मुश्किल होती थी इस सुरंग के खुलने से यह अब अतीत की बात हो जाएगी

सुरंग के खुलने से आठ किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी और यात्रा का समय भी एक घंटे कम हो जाएगा

इस महत्वाकांक्षी परियोजना को पूरा करने में पांच सालों तक रोजाना औसतन लगभग 650 कर्मियों और श्रमिकों ने काम किया

इसके निर्माण में 71 हजार मीट्रिक टन सीमेंट, 5 हजार मीट्रिक टन स्टील और 800 मीट्रिक टन विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया

सुरंग के निर्माण के दौरान बीआरओ को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ा ठंड और बर्फ के कारण कंक्रीटिंग प्रक्रिया में देरी हुई निर्माण के दौरान सुरंग में पानी भी प्रवेश कर जाता था

लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद, टेक्नोलॉजी के कुशल उपयोग, ऑफिसरों के अनुभव और मजदूरों की कड़ी मेहनत के कारण पांच वर्ष से भी कम समय में बीआरओ सुरंग का निर्माण पूरा कर सका

सुरंग में अत्याधुनिक सुरक्षा प्रबंध हैं इसमें हवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए वेंटिलेशन सिस्टम और विश्व स्तरीय इलेक्ट्रो मैकेनिकल सिस्टम है इसमेें जेट फैन वेंटिलेशन सिस्टम, अग्निशमन उपकरण, सीआईई मानदंड-आधारित रोशनी प्रणाली और एससीएडीए नियंत्रित नज़र प्रणाली शामिल हैं

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