दो लोकसभा चुनावों में प्रतिद्वंद्वियों को दी कड़ी शिकस्त
मथुरा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी की प्रत्याशी हेमा मालिनी ऐसी राजनेता हैं, जिन्होंने न सिर्फ़ सिनेमा जगत में अदाकारी की ऊंचाइयों को छुआ, बल्कि राजनीति में भी अपना परचम लहराया. उन्होंने पिछले दो लोकसभा चुनावों में प्रतिद्वंद्वियों को कड़ी शिकस्त दी है. इस बार उनके समक्ष मथुरा लोकसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार जीतने की चुनौती है. 1991 से 1999 तक लगातार चार बार बीजेपी के कब्जे में रही मथुरा लोकसभा सीट 2004 में बीजेपी के हाथ से फिसल गई थी. इसके 10 साल बाद 2014 में मशहूर अदाकारा हेमा मालिनी को बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा. हेमा ने अपने स्टारडम और जनता से जुड़ाव का भली–भाँति इस्तेमाल किया और मथुरा सीट बीजेपी की झोली में डाल दी. साल 2019 में भी सीट बीजेपी के ही खाते में रही. हेमा के दोनों कार्यकाल देखे जाएं तो वह न सिर्फ़ संसद में एक्टिव रहीं, बल्कि अपने क्षेत्र में भी लोगों से संपर्क में रहीं. हालांकि, लगातार दो बार सांसद रहने के कारण सत्ता विरोधी माहौल की काट हेमा की सबसे बड़ी चुनौती है.
विजेंदर ने दिया कांग्रेस पार्टी को झटका हेमा से मुकाबले के लिए इस बार कांग्रेस पार्टी ने मथुरा सीट पर ग्लैमर का तड़का लगाते हुए अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर विजेंदर सिंह को उतारने की तैयारी की थी, लेकिन विजेंदर ने बुधवार को सभी को चौंकाते हुए बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की युवाओं और जाट वोटरों को साधने की तैयारी धरी की धरी रह गई थी. अब कांग्रेस पार्टी ने नामांकन से ऐन पहले मुकेश धनगर को प्रत्याशी बनाया है.
बसपा ने बदला प्रत्याशी हेमा को चुनावी मुकाबले में घेरने के लिए बीएसपी ने भी जाट कार्ड खेलते हुए पूर्व आईआरएस अधिकारी सुरेश सिंह पर दांव लगाया है. इसके पूर्व बीएसपी ने 23 मार्च को वरिष्ठ पत्रकार कमलकांत उपमन्यु को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन बाद में पार्टी ने प्रत्याशी बदल दिया. बीजेपी के लिए राहत यह है कि पिछले चुनाव में बीजेपी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय लोकदल इस बार पार्टी के साथ है.
भाजपा का गढ़ बन चुकी मथुरा लोकसभा सीट
मथुरा लोकसभा क्षेत्र बीजेपी का गढ़ बन चुका है. 1991 से पहले मथुरा लोकसभा क्षेत्र से कभी बीजेपी या जनसंघ का उम्मीदवार नहीं जीता था लेकिन 1991 के बाद 2019 तक हुए आठ लोकसभा चुनाव में से छह चुनाव यहां बीजेपी जीती है. 2004 का चुनाव जहां कांग्रेस पार्टी जीत गई थी, वहीं 2009 के चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी जीते थे. 2014 से हेमा मालिनी यहां की सांसद हैं.
सामाजिक समीकरण
मथुरा में सामाजिक और जातीय समीकरण में जाट और ब्राह्मण लगभग बराबर 20-20 फीसदी हैं. ठाकुर करीब 16 प्रतिशत, वैश्य 12 प्रतिशत, एससी 18 फीसदी और मुसलमान लगभग छह फीसदी हैं.