महाराष्ट्र में तीसरे चरण में 7 मई को 11 सीटों पर डाले जाएंगे वोट
सियासी रूप से राष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े सूबे महाराष्ट्र में हर एक सीट का गणित हर रोज बदल रहा है। यहां कुल 48 सीटों पर पांच चरणों में वोटिंग होना है। तीसरे चरण में सात मई को यहां की 11 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इसमें से एक सीट पर बीजेपी उलझती दिख रही है। यहां पर वंचित बहुजन अघाड़ी के एक उम्मीदवार ने खेल कर दिया है। इस कारण पूरा गेम बदल गया है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी पार्टी को दिल्ली का संसद भवन दिखने लगा है। हालांकि अभी यहां वोटिंग में करीब 10 दिन बचे हैं और तब तक हवा का रुख किस ओर होगा अभी से कुछ नहीं बोला जा सकता है।
हम बात कर रहे हैं राज्य के सोलापुर लोकसभा क्षेत्र की। यह बीते करीब तीन दशक से एक हॉट सीट बनी हुई है। यहां से कांग्रेस पार्टी की ओर से पूर्व सीएम और पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे तीन बार सांसद रह चुके हैं।
वीबीए उम्मीदवार ने वापस लिया नाम
इस बार 2024 के में यहां से उनकी बेटी परणीति सुशीलकुमार शिंदे मैदान में हैं। अभी वह इसी क्षेत्र से विधायक हैं। उनके सामने हैं बीजेपी के नेता राम सेतपुते। वह भी विधानसभा के सदस्य हैं। इन दोनों के बीच ही मुकाबला है। इस सीट पर प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) ने राहुल गायकवाड को टिकट दिया था। लेकिन, नाम वापस लेने के आखिरी दिन उन्होंने अपनी उम्मीवादरी छोड़ दी। उन्होंने इल्जाम लगाया कि वीबीए के नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से योगदान नहीं मिलने के कारण उन्होंने अपना नाम वापल लिया है।
गायकवाड का नाम वापस लेना क्यों अहम
अब प्रश्न यह है कि गायकवाड के नाम वापस लेने से क्या वाकई कांग्रेस पार्टी को लाभ होगा? इसका उत्तर 2019 के चुनावी नतीजे में छिपा हो सकता है। बीते लोकसभा चुनाव में इस सीट वीबीए के प्रमुख प्रकाश अंबेडकर स्वयं मैदान में थे। उस समय कांग्रेस पार्टी की ओर से उम्मीदवार थे। शिंदे 1.58 लाख वोटों से चुनाव हार गए। दूसरी तरफ प्रकाश अंबेडकर को 1.70 लाख वोट मिले। तब चुनावी पंडितों का मानना था कि प्रकाश अंबेडकर को मिले वोट सरलता से कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में ट्रांसफर करवाए जा सकते थे। यदि ऐसा होता तो सोलापुर में लड़ाई कांटे की हो जाती। हालांकि, यहां की विधानसभा सीटों के गणित लड़ाई को एकतरफा दिखाते हैं। बीते विधानसभा चुनाव में यहां की छह विधानसभा सीटों में से चार पर बीजेपी और एक-एक पर कांग्रेस पार्टी और एनसीपी के उम्मीदवार को जीत मिली थी।
इसी फॉर्मूले के आधार पर इस बार 2024 के में सोलापुर की जंग को कांटे का कहा जा रहा है। लेकिन, 2014 के नतीजे देखने के बाद स्थिति थोड़ी जटिल हो जाती है। 2014 में शिंदे यहां से करीब 1.50 लाख वोटों से हार गए थे। उस चुनाव में बीजेपी को 54.43 प्रतिशत वोट मिले थे। यह संख्या सभी विपक्षी उम्मीदवारों को मिले कुल वोट से अधिक था। सुशील शिंदे सोलापुर से 1998, 1999 और 2009 में लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं।